🔵देवेन्द्र पाण्डेय, वीरेंद्र पाण्डेय व श्यामनरायण पाण्डेय के दो वर्ष के सर्विस ब्रेक के बाद भी वर्ष 2018 में हो गया विनियमितकरण
🔴जुलाई 2012 से मार्च 2014 का एरियर मिला वर्ष 2025 मे, फिर वर्ष 2018 मे कैसे हुआ स्थायीकरण ?
🟡 युगान्धर टाइम्स न्यूज नेटवर्क
कुशीनगर। जनपद के कप्तानगंज स्थित गंगा बक्श कनोडिया इंटरमीडिएट कालेज के सहायक अध्यापक देवेन्द्र पाण्डेय, वीरेंद्र पाण्डेय व श्याम नरायण पाण्डेय द्वारा दो वर्ष बिना कार्य किये कूटरचित व तथ्य गोपन करके लाखो रुपये एरियर निकालने का मामला अभी चल ही रहा है कि इन शिक्षको का फर्जी तरीके से विनियमितकरण कराने का सनसनीखेज मामला प्रकाश मे आ गया है।
काबिलेगौर है कि वर्ष 1999 मे तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक कुशीनगर ने जनपद में बिना पद के शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के नियुक्ति की शिकायत मिलने पर इनके वेतन भुगतान पर रोक लगा दिया था। वेतन अवरुद्ध होने पर कप्तानगंज स्थित गंगा बक्श कनोडिया इंटर कालेज के क्षुब्ध शिक्षको ने उच्च न्यायालय का शरण लिया और अलग-अलग याचिका दाखिल किया जो आगे चलकर इन सभी शिक्षकों की रिट एक याचिका 39088/2007 के साथ सम्बद्ध होकर आदेश पारित हुआ। आदेश में कहा गया कि जो शासनादेश के अन्तर्गत आने वाले शिक्षक नियमित रूप से कार्य कर रहे है तो उनसे कार्य कराते हुए शासनादेश के अनुरूप शिक्षको के बकाया वेतन का भुगतान इस सत्यापन के साथ किया जाए कि वह विद्यालय में नियमित रूप से अध्यापन कार्य कर रहे है। मजे की बात यह है कि न्यायालय के इस आदेश के बाद सहायक अध्यापक देवेन्द्र पाण्डेय, सहायक अध्यापक वीरेंद्र पाण्डेय व सहायक अध्यापक श्यामनारायण पाण्डेय ने तथ्य गोपन कर मूल उपस्थिति पंजिका में गैरहाजिर होने के बावजूद प्रबंधक व प्रधानाचार्य को किसी तरह से प्रलोभन देकर विद्यालय के मूल उपस्थिति पंजिका में दो वर्षों का नाम अंकित कराकर हस्ताक्षर बनाने का प्रयास किया किन्तु विद्यालय के प्रबंधक और प्रधानाचार्य जितेन्द्र तिवारी ने सहायक अध्यापक देवेन्द्र पाण्डेय,वीरेंद्र पाण्डेय व सहायक अध्यापक श्याम नरायण पाण्डेय के प्रभाव व प्रलोभन में नही आये। सूत्र बताते है कि इन शिक्षको ने कूटरचित तरीके से एक उपस्थिति पंजिका तैयार कर दो वर्ष के अपने अनुपस्थित कार्यकाल को एक ही दिन मे नियमित करके विद्यालय के प्रबंधक से लगायत प्रधानाचार्य व डीआईओएस दफ्तर एंव निदेशालय के संबधित लिपिक को मोटी रकम देकर वर्ष 2025 मे लाखो-लाख रुपये एरियर प्राप्त करके सरकारी खजाने को लूट लिया जबकि इसके पूर्व वीरेंद्र पाण्डेय, देवेन्द्र पाण्डेय, श्याम नारायण पाण्डेय ने वर्ष 2018 मे तथ्य गोपन कर बडा खेल किया था। सूत्रो के मुताबिक इन शिक्षको ने तथ्य छुपाकर नियम विरुद्ध तरीके से अपना विनियमितकरण करा लिया था। सूत्रो की माने तो वीरेन्द्र पाण्डेय, देवेन्द्र पाण्डेय व श्याम नरायण पाण्डेय ने तथ्य गोपन व कूटरचित कर दिनांक 23-4-2018 को संयुक्त शिक्षा निदेशक, सप्तम मण्डल, गोरखपुर से अपनी सेवा नियमित करा लिया,जबकि जुलाई-2012 से मार्च-2014 तक इन शिक्षको का हस्ताक्षर विद्यालय के मूल उपस्थिति पंजिका पर अंकित ही नही है। ऐसे मे सवाल यह उठता है जब सहायक अध्यापक देवेन्द्र पाण्डेय, सहायक अध्यापक वीरेंद्र पाण्डेय व सहायक अध्यापक श्याम नरायण पाण्डेय दो वर्ष कार्य ही नही किये और सर्विस कार्यकाल नियमित नही रहा तो फिर इन सभी शिक्षकों का नौकरी स्थायी (विनियमित) कैसे हो गया ?
🔴 जानकार बोले
विशेषज्ञों का कहना है कि विनियमितीकरण, शिक्षकों की सेवाओं को नियमित करने की प्रक्रिया है। यह नियमावली उन शिक्षकों पर लागू होती है जो अस्थायी या तदर्थ आधार पर नियुक्त किए गए हो और नियमित पदों पर स्थायी रूप से समायोजित होना चाहते हैं। जानकार बताते है कि विनियमितकरण के लिए शिक्षको का सर्विस कार्यकाल नियमित होना जरूरी है। मतलब साफ है कि प्रति माह वेतन आहरण होना चाहिए, जबकि सूत्रो का दावा है कि देवेन्द्र पाण्डेय, वीरेंद्र पाण्डेय व सहायक अध्यापक श्याम नरायण पाण्डेय का न तो सर्विस कार्यकाल नियमित रहा है और न ही इनका नियमित रूप से प्रति माह वेतन आहरण हुआ है। जुलाई-2012 से मार्च- 2014 तक इनका विद्यालय के मूल उपस्थिति पंजिका पर हस्ताक्षर नही है। सूत्रो ने बताया कि इन शिक्षको ने तथ्य गोपन व कूटरचित दस्तावेज तैयार कर बिना कार्य किये दो वर्ष का वेतन एरियर के रुप मे वर्ष 2025 में प्राप्त किया है। ऐसे मे सवाल उठना मुनासिब है कि वर्ष - 2018 मे यह सभी अध्यापक स्थायी कैसे हो गये?
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