🟡डकौतों से मुठभेड़ में दो इंस्पेक्टर सहित 6 पुलिसकर्मी और एक नाविक हुए थे शहीद,तभी से कुशीनगर पुलिस जन्माष्टमी को मानती थी अभिशप्त
🔴एसपी संतोष कुमार मिश्र ने पुरानी परम्पपरा पर लगाया विराम,लिया एतिहासिक निर्णय
🔵युगान्धर टाइम्स व्यूरो
कुशीनगर। जनपद के थानों के लिये जन्माष्टमी अभिशप्त मानी जाने वाली श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार तीन दशक बाद शनिवार को जिले के सभी थानों मे धूमधाम व उल्लास के साथ मनाई गई । भजन-कीर्तन के बाद रात्रि बारह बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद थाना सहित नगर मे स्थापित पंडाल '' हाथी थोडा पालकी जय कन्हैया लाल की '' जयघोष से गूंज उठे। इसके बाद भक्तो ने देर रात तक पूजा-अर्चना कर प्रसाद वितरण किया।
बतादे कि देवरिया जनपद से अलग होकर कुशीनगर जनपद के अस्तित्व में आने के बाद सरकारी महकमों में जश्न का माहौल था। वर्ष 1994 में पुलिस महकमा पहली जन्माष्टमी पडरौना कोतवाली में बड़े धूमधाम से मनाने में लगा हुआ था, जहां पुलिस के बड़े अधिकारियों के साथ ही सभी थानों के थानेदार और पुलिस कर्मी मौजूद थे। पुलिस को कुबेरस्थान थाने के पचरूखिया घाट के पास उस समय आतंक के पर्याय बन चुके जंगल दस्यु बेचू मास्टर व रामप्यारे कुशवाहा उर्फ सिपाही द्वारा अपने साथियों के साथ पचरुखिया के प्रधान राधाकृष्ण गुप्त के घर डाका डालने और उनकी हत्या करने जैसे वारदात को अंजाम देने की सूचना मिली। इंस्पेक्टर योगेंद्र प्रताप सिंह ने यह जानकारी पुलिस अधीक्षक बुद्धचंद को दी। एसपी ने कोतवाल को थाने मे मौजूद फोर्स को लेकर मौके पर पहुचने का निर्देश दिया। इस बीच पहुचे उस समय के इंकाउन्टर स्पेशलिस्ट तरयासुजान थाने के एसओ अनिल पाण्डेय को भी एसपी ने इस आप्रेशन का हिस्सा बनाया। सीओ पडरौना आरपी सिंह के नेतृत्व मे गठित टीम मे हाटा के तत्कालीन सीओ गंगानाथ त्रिपाठी, दरोगा योगेन्द्र सिंह, आरक्षी मनिराम चौधरी, राम अचल चौधरी, सुरेंद्र कुशवाहा, विनोद सिंह व ब्रह्मदेव पाण्डेय शामिल किये गये जबकि दुसरी टीम का नेतृत्व तरयासुजान एसओ अनिल पाण्डेय कर रहे थे। इस टीम मे कुबेरस्थान थानाध्यक्ष राजेन्द्र यादव, दरोगा अंगद राय, आरक्षी लालजी यादव, खेदन सिंह, विश्वनाथ यादव, परशुराम गुप्त, नागेंद्र पाण्डेय, अनिल सिंह व श्याम शंकर पाण्डेय शामिल थे। पुलिस टीम आप्रेशन को अंजाम देने के लिए रात्रि साढे नौ बजे बांसी नदी के किनारे पहुची। पता चला की जंगल दस्यु पचरुखिया गांव मे है। उस समय नदी को पार करने के लिये कोई पुल नहीं था नाव ही एक मात्र साधन था।पुलिसकर्मियों ने भुखल नामक एक नाविक को बुला डेंगी (छोटी नाव) को उस पार ले चलने को कहा। नाविक भुखल ने दो बार मे डेंगी से पुलिसकर्मियों को बांसी नदी के उस पार पहुंचाया लेकिन बदमाशों का कोई सुराग नही मिला। अपराधियों के नहीं मिलने पर पुलिस टीम फिर से नाव के सहारे नदी पार कर वापस लौट रही थी । पहली बार मे सीओ समेत अन्य पुलिसकर्मी नांव से नदी इस पार वापस आ गये जबकि दूसरी टीम की नाव जैसे ही नदी की बीच धारा में पहुंची तभी डकैतों ने पुलिस टीम पर अंधाधुध फायर झोंक दिया। डकैतो ने पुलिस टीम पर चालीस राउंड फायरिंग की थी। पुलिस ने जवाबी फायरिंग किया लेकिन इस बीच नाविक को गोली लगने से नाव बेकाबू हो गयी और नदीं में पलट गयी। नाव पर सवार सभी 11 लोग नदी में डूबने लगे । डूब रहे लोगों में से तीन पुलिसकर्मी तो तैर कर बाहर आ गये लेकिन दो इंस्पेक्टर,सहित 7 पुलिसकर्मी और नाविक शहीद हो गये।
🔴दो इंस्पेक्टर सहित छह पुलिसकर्मी और नाविक हुए शहीदघटना की सूचना सीओ सदर आरपी सिंह ने वायरलेस के जरिए एसपी बुद्धचंद को दी। इसके बाद मौके पर पहुंची फोर्स द्वारा डेंगी (छोटी नाव) पर सवार पुलिसकर्मियों की खोजबीन शुरू की गयी जिसमें एसओ तरयासुजानअनिल पांडेय,एसओ कुबेरस्थान राजेंद्र यादव, तरयासुजान थाने के आरक्षी नागेंद्र पांडेय, पडरौना कोतवाली के आरक्षी खेदन सिंह, विश्वनाथ यादव व परशुराम गुप्त शहीद हो गये तथा नाविक भुखल भी मारा गया। इस कांड में दरोगा अंगद राय, आरक्षी लालजी यादव, श्यामा शंकर राय व अनिल सिंह घायल हो गये थे।
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