🔴 युगान्धर टाइम्स न्यूज नेटवर्क
कुशीनगर। छितौनी तटबंध की मजबूती के लिए हनुमानगंज गांव के पास गंडक नदी के किनारे बने एक ठोकर की पुनर्स्थापना पर पानी की तरह बहाए गये लगभग आठ करोड़ की धनराशि पानी मे बहता हुआ दिख रहा है। सबब यह है कि ठोकर का आगे के नोज का बीस मीटर हिस्सा नदी मे धस गया है जो विभाग की गुणवत्ता व ईमानदारी की पोल खोलकर रख दिया। बावजूद इसके जिम्मेदार धृतराष्ट्र बने बैठे है।
काबिलेगौर है कि महराजगंज जिले की सीमा से माघी- भगवानपुर गांव तक करीब 14.400 किलोमीटर तटबंध गंडक नदी के प्रकोप से बचाव के लिए बना है। इसे छितौनी तटबंध के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि इस तटबंध के 9.752 किलोमीटर पर स्थित (हनुमानगंज गांव के सामने) ठोकर की मजबूती के लिए लांचिंग एप्रन व स्लोप पिचिंग की पुनर्स्थापना कार्य कराया गया है। इस ठोकर को और मजबूती देने के लिए दोनों तरफ परक्यूपाइन लगाया गया है। इस दोनों कार्य पर सात करोड़ 91 लाख 64 हजार रुपये खर्च हुए हैं। कहना न होगा कि बीते 9 जून को सूबे के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने इस कार्य की मौके पर पहुचकर जांच की थी। उस समय सिंचाई विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कार्य की गुणवत्ता व मजबूती के बडे-बडे दावे भी किए थे। लेकिन अफसोस नदी में अभी बाढ़ नहीं आई है। पानी का बहाव भी तेज नहीं हुआ है। इसके बावजूद ठोकर के नीचे का लगभग बीस मीटर हिस्सा पत्थर व जाली सहित कटकर पानी में विलीन हो गया है। अब सवाल यह उठता है कि जब गंडक उफान पर आएगी, तब ठोकर का क्या हाल होगा?
🔴 ग्रामीण बोले-
हनुमानगंज और भैंसहा गांव के ग्रामीणों का कहना कि हर वर्ष बंधे की मरम्मत के नाम पर करोडो रुपये खर्च होता है, लेकिन बंधा मजबूत नहीं होता है। बल्कि धन का बंदरबांट किया जाता है। ऐसे मे कहना मुनासिब होगा कि ठोकर कटने की उच्चस्तरीय जांच हो जाए तो धन की बंदरबांट के साथ साथ विभागीय अधिकारियों की कलई खुल जाएगी।
🔴 दोषियों पर होगी कार्रवाई
इस संबंध में बाढ़ खंड के सहायक अभियंता मनोरंजन चौधरी का कहना है कि इसकी जांच की जाएगी। जो भी दोषी मिलेगी उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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