🔴 हाईकोर्ट ने जिले के शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों के खिलाफ दिए जांच का आदेश, जबाब देही तय कर तीन माह मे मांगी रिपोर्ट
🔴 मामला फर्जी डिग्री वाले अध्यापक की बर्खास्तगी का
🔴 युगान्धर टाइम्स व्यूरो
कुशीनगर । इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक के एलटी अध्यापक की बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगा दी है। अध्यापक को फर्जी बीएड अंकपत्र के आधार पर नियुक्ति पाने का दोषी करार देते हुए उसे बर्खास्त कर दिया गया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को 1993 में तदर्थ नियुक्त किए गये अध्यापक को वर्ष 2008 में नियमित करने और वर्ष 2015 में चयन वेतनमान देने वाले जिले के शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों के खिलाफ जांच करने का निर्देश दिया है। साथ ही अधिकारियों की जवाबदेही तय कर तीन माह में रिपोर्ट मांगी है।
🔴 जनता इंटर कालेज रामकोला, की याचिका पर हुए आदेश
उच्च न्यायालय ने कहा है कि फर्जी अंकपत्र वाला व्यक्ति सरकारी धन से कैसे नियुक्त किया गया। दस्तावेज का सत्यापन नियमित सेवा में लेने के समय ही किया जाना चाहिए था। ऐसा क्यों नहीं किया गया? कोर्ट ने निदेशक के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा है कि याची के अध्यापन कार्य में किसी प्रकार का अवरोध उत्पन्न न किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने कुशीनगर जनपद के रामकोला मे स्थित जनता इंटर कालेज के कृषि अध्यापक अशोक कुमार सिंह की याचिका पर दी है।
🔴 जिविनि के आदेश पर हाईकोर्ट ने लगायी रोक
काबिलेगोर है कि याची एलटी ग्रेड कृषि अध्यापक पद पर तदर्थ रूप में 6 मार्च 93 को नियुक्त किया गया था। क्षेत्रीय समिति ने 15 सितंबर12008 को सेवा नियमित कर दी। इसके बाद 9 नवंबर- 2015 को चयन वेतनमान दिया गया। 8 सितंबर-2020 को जिला विद्यालय निरीक्षक को पता चला कि प्रथम दृष्टया याची ने बीएड के फर्जी अंकपत्र के आधार पर नियुक्ति प्राप्त की है।उसके बाद एडीएम की अध्यक्षता में जाच कमेटी गठित की गयी। कमेटी को याची अशोक कुमार सिंह ने आरोप निराधार बताते हुए जवाब दिया। इसके बावजूद जिला विद्यालय निरीक्षक ने डिग्री को फर्जी मानते हुए नियुक्ति को अवैध करार दिया और वेतन भुगतान पर रोक लगाते हुए शिक्षक अशोक कुमार सिंह के खिलाफ के एफआइआर दर्ज करा दिया। इसके बाद शिक्षक ने डीआईओएस के आदेश को हाईकोर्ट मे चुनौती दी। हाई कोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक के आदेश पर रोक लगा दी और जवाब मांगा।
🔴 आदेश का पालन न होने पर दाखिल किया याचिका
उच्च न्यायालय के आदेश का डीआईओएस द्वारा पालन नहीं किया गया तो याची ने अवमानना का याचिका दायर की। नोटिस जारी होने पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने धारा 16 ई (10) के अंतर्गत कार्यवाही शुरू की।याची ने जवाब दिया कि उसकी नियुक्ति बीएससी कृषि डिग्री के आधार पर की गई थी। फर्जी डिग्री के आरोपों से इंकार किया। सुनवाई के दिन याची की पत्नी बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती थी। उसने निदेशक को इसकी सूचना दी। इसके बाद दुबारा बुलाए बगैर याची की सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया गया, जिसे चुनौती दी गई है।
🔴शिक्षा विभाग के अधिकारियों की भी है जवाबदेही
कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 का सभी को समान संरक्षण प्राप्त है। एक लोक सेवक से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि दस्तावेज का सत्यापन किए बगैर सेवा नियमित कर देगा। डीआइओएस सहित शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारी की भी इसके जवाबदेही है। चयन वेतनमान देने वाले अधिकारियों की भी जवाबदेही है। विभागीय जांच की जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा सेवा नियमित करने से लेकर चयन वेतनमान देने तक की जांच होनी चाहिए।
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