🔴पुलिस अधीक्षक कार्यालय से बाहर निकलने के बाद पीडित परिवार की पीडित महिला व युवतियों ने मीडिया से कैमरे के सामने हाइवे चौकी इंचार्ज नागेन्द्र गोड़, सिपाही कमलेश व रमेश को घटना को अंजाम देने का जिम्मेदार ठहराते हुए अपनी आपबीती दास्तान बंया की थी। उन्होने यह भी कहा कि बाद मे पहुंचे पुलिसकर्मियों का नाम उन्हे नही मालूम जिन्होंने अत्याचार की सीमा लाघते हुए महिलाओं के साथ न सिर्फ बदसलूकी की बल्कि औरतो और बच्चों को लाठी-डंडे से पीटने से तनिक भी परहेज नही किया।
🔴 कही ऐसा तो नही दोषी पुलिसकर्मियों को बचाने के लिए अज्ञात पुलिसकर्मियों पर दर्ज किया गया है मुकदमा
🔴 असफाक आलम और रणबीर नामक सिपाहियों के कारस्तानी की किस्से भी चर्चा मे
🔴 संजय चाणक्य
कुशीनगर। आम जनमानस के जेहन मे खाकी के प्रति विश्वास दिलाने के लिए सूबे की सरकार व पुलिस महकमा के आला अफसर, पुलिस की बेहतर छवि बनाने मे दिन-रात एक कर रहे है। वही कुशीनगर पुलिस अपने कर्तव्य, निष्ठा और जिम्मेदारियों को ताक पर रखकर सरकार व विभाग के उच्चधिकारियो के नेक मंसूबे को तार-तार करते हुए खाकी की खलनायक की छवि को बरकरार रखने मे तनिक भी परहेज नही कर रहे है। मंगलवार को कसया पुलिस द्वारा होटल मे खाना खा रहे परिवार के साथ जिस तरह की घिनौना व अमानवीय कुकृत्य को अंजाम दिया गया वह न सिर्फ शर्मनाक है बल्कि खाकी पर एक बदनुमा दाग भी है जिसे सिर्फ उन दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कडी कार्रवाई करते हुए उन्हे सलाखों के पीछे भेजने के बाद ही धुला जा सकता है। वजह यह है कि जब कानून के रखवाले ही कानून की धज्जियां उडाने लगेगे तो समाज को दुष्प्रभावित करने वाले लोगो से क्या उम्मीद की जा सकती है।
काबिलेगोर है कि सूबे सरकार की ड्रीम प्रोजेक्ट मे शुमार एंटी रोमियो के महत्वपूर्ण हिस्सा बनी पुलिस जब आमजनमानस के साथ गुण्डे-मवाली की तरह कार्य करते हुए मारपीट व छेडखानी करने लगे तो पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजमी हो जाता है। सवाल तो उठेगा ही जब आमजनमानस के मान-सम्मान की रक्षा और जीवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेकर चलने वाली पुलिस, वर्दी का दुरुपयोग कर किसी महिला की आबरु को तार-तार करने की जुर्रत करेगा तो खाकी पर सवाल उठना स्वाभाविक है। सवाल तब भी उठेगा जब अपने दायित्व और कर्तव्यों से विमुख होकर पुलिसवाले खाकी की आड़ मे गुण्डे-मवालियो की तरह हरकत कर कानून का दुरुपयोग करके पीडित परिवार पर ही संगीन धाराओं मे मुकदमा दर्ज कर जेल भेज देगे और महकमा के आला अफसर उन दोषी पुलिसकर्मियों को सलाखों के पीछे भेजने के बजाय बचाने मे जुट जाए तो सवाल तो उठेगा ही। 🔴 वो कौन हैकहना न होगा कि मंगलवार को कसया के हाइवे पर स्थित होटल आदित्य मे एक परिवार के लोगो के साथ जिन पुलिसवाले ने मारपीट व छेडखानी की घटना को अंजाम दिया था वह जगजाहिर है। पीड़ित परिवार के लोगो को पकडकर थाने लाकर बेरहमी से पीटाई करने वाली पुलिस के खिलाफ पीडित परिजनों ने घटना के दुसरे दिन पुलिस अधीक्षक के दरबार मे न सिर्फ उन पुलिस कर्मियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी थी बल्कि न्याय की गुहार भी लगायी थी। पुलिस अधीक्षक कार्यालय से बाहर निकलने के बाद पीडित परिवार की पीडित महिला व युवतियों ने मीडिया से कैमरे के सामने हाइवे चौकी इंचार्ज नागेन्द्र गोड़, सिपाही कमलेश व रमेश को घटना को अंजाम देने का जिम्मेदार ठहराते हुए अपनी आपबीती दास्तान बंया की थी। उन्होने यह भी कहा कि बाद मे पहुंचे पुलिसकर्मियों का नाम उन्हे नही मालूम जिन्होंने अत्याचार की सीमा लाघते हुए महिलाओं के साथ न सिर्फ बदसलूकी की बल्कि औरतो और बच्चों को लाठी-डंडे से पीटने से तनिक भी परहेज नही किया। विश्वस्त सूत्रों की माने तो खाकी को अपने कुकृत्यो से शर्मसार करने वालो मे चौकी इंचार्ज नागेन्द्र गोड, सिपाही कमलेश, रमेश के अलावा असफाक आलम और रणबीर नामक सिपाही की भूमिका मुख्य है। सूत्रों की माने तो असफाक आलम और रणबीर नामक इन दोनो सिपाहियों की कारस्तानी के किस्से कसया कस्बे मे जगजाहिर है। बताया जाता कि कस्बा चौकी के यह दोनो सिपाही दिनभर कस्बे मे खाकी की रौब ऐठते है और रात मे हाइवे के किनारे स्थित होटल आदित्य मे अपना जलवा बिखेरते है। अब सवाल यह उठता मुम्बई मे रहने वाले परिवार के साथ घटित घटना मे इन पुलिसकर्मियों का नाम सार्वजनिक है तो फिर अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर पुलिस महकमा दोषी पुलिसकर्मियों को क्यो बचा रहा है ? कही ऐसा तो नही कि पुलिस महकमा इस घटना मे प्रथम दृष्टया दोषी पाये गये चौकी इंचार्ज नागेन्द्र गोड़ को लाइन हाजिर व सिपाही कमलेश और रमेश विरुद्ध निलंबन की कार्रवाई करने के बाद फिर अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्जकर यह साबित करना चाहती है कि सूबे के योगी सरकार मे पुलिस जो चाहेगी वही होगा। अगर जिले की पुलिस ऐसा सोचती है तो वह गफलत मे है।।
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