🔵कप्तानगंज स्थित गंगा कनोडिया इंटर कालेज के शिक्षक देवेन्द्र पाण्डेय की फर्जी पाये गये डिग्री के बाद सेवा समाप्ति का मामला
🔴तत्कालीन जिलाधिकारी भूपेंद्र एस चौधरी की अध्यक्षता में गठित समिति ने किया था देवेन्द्र की फर्जी डिग्री का खुलासा
🟡युगान्धर टाइम्स व्यूरो
कुशीनगर। शिक्षा निदेशक माध्यमिक विनय कुमार पाण्डेय द्वारा फर्जी बीएड की डिग्री पर नौकरी कर रहे सहायक अध्यापक देवेन्द्र पाण्डेय की सेवा समाप्त किये जाने के बावजूद तथ्य गोपन व कूटरचित अभिलेख तैयार कर देवेन्द्र पाण्डेय न सिर्फ अपने पद पर बने हुए है, बल्कि प्रति माह लाखो रुपये वेतन लेकर सरकारी खजाने को लूट रहे है। ऐसा सूत्रो का दावा है।
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मामला जनपद के कप्तानगंज स्थित गंगा कनोडिया इंटर कालेज का है। बतादे कि वर्ष 2020 में माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित जनपद के 55 एडेड व 19 राजकीय व संस्कृत बोर्ड से संचालित विद्यालयो में तैनात शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच अपर मुख्य सचिव उप्र शासन के निर्देश पर कराई गई थी। 31 जुलाई-2020 को तत्कालीन जिलाधिकारी भूपेंद्र एस चौधरी की अध्यक्षता में गठित समिति में शामिल तत्कालीन एडीएम, डीआईओएस, प्रधानाचार्य अक्षैयबर पांडेय व सरोज दुबे द्वारा शिक्षक व शिक्षिकाओं के प्रमाण पत्रों की जांच बोर्ड व विश्वविद्यालय स्तर पर कराई गई। इसमें गंगा बक्स कानोडिया गांधी इंटरमीडिएट कॉलेज कप्तानगंज में तैनात सहायक अध्यापक देवेंद्र कुमार पांडेय का बीएड की डिग्री फर्जी मिला था। डीएम के निर्देश पर तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक उदयप्रकाश मिश्र ने फर्जी डिग्री धारी शिक्षक देवेन्द्र पाण्डेय का वेतन रोकते हुए विद्यालय के प्रबंधक को देवेन्द्र पाण्डेय के खिलाफ संबंधित थाने में मुकदमा दर्ज कराने लिए आदेश भी दिया था। यह बात दीगर है कि विद्यालय के प्रबंधक ने देवेन्द्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज नही कराया। बताया जाता हे कि विद्यालय के प्रबंधक से प्राप्त हुई सेवा समाप्ति के प्रस्ताव को डीआईओएस उदय प्रकाश मिश्र ने अनुमोदित कर शासन को भेज दिया था। सूत्र बताते है कि इसके बाद शिक्षानिदेशक माध्यमिक विनय कुमार पांडेय ने गंगा बक्स कानोडिया गांधी इंटरमीडिएट कॉलेज के सहायक अध्यापक देवेंद्र पांडेय की सुनवाई की,सुनवाई के दौरान देवेन्द्र पाण्डेय की ओर से न तो साक्ष्य प्रस्तुत किया गया और न ही संतुष्टपूर्ण जबाब दिया गया। नतीजतन शिक्षा निदेशक माध्यमिक विनय कुमार पांडेय ने इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 की धारा 16 ई 10 के तहत तत्काल प्रभाव से देवेन्द्र पाण्डेय की सेवा समाप्त कर दिया। सूत्र बताते है कि शासन द्वारा सेवा समाप्ति के कुछ दिन बाद बर्खास्त शिक्षक अपने वेतन भुगतान की मांग को लेकर न्यायालय के शरण मे गये जहां तथ्य गोपन व कूटरचित अभिलेख प्रस्तुत कर वेतन भुगतान की मांग की। इसके बाद निदेशालय के बाबुओं को मोटी रकम देकर कूटरचित अभिलेखो के सहारे अपनी बहाली करा लिया। सूत्र बताते है देवेन्द्र पाण्डेय ने बर्खास्तगी के बाद कूटरचित दस्तावेज को सही ठहराने के लिए यहां के जिला विद्यालय निरीक्षक व संबंधित पटल लिपिक सहित निदेशालय के बाबू और जिम्मेदार अधिकारियों को मुंहमांगा नजराना पेश किया।सवाल यह उठता है कि जब जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली टीम द्वारा विश्व विद्यालय व बोर्ड स्तर से करायी गयी जांच मे देवेन्द्र कुमार पाण्डेय की डिग्री फर्जी मिली, जब निदेशक माध्यमिक शिक्षा विनय कुमार पाण्डेय के सुनवाई मे देवेन्द्र पाण्डेय अपनी डिग्री को सही नही साबित नही कर पाये तो फिर इनकी सेवा कैसे बहाल हो गयी। सहायक अध्यापक देवेन्द्र पाण्डेय इस संबध में जब पत्रकार ने सवाल किया तो उन्होंने कहा वह न्यायालय के आदेश पर बहाल हुए, जांच कमेटी ने हमसे कोई प्रमाण नही मांगा और ना ही मेरी सुनवाई हुई। उन्होने कहा कि जो भी जानकारी लेनी है वह डीआईओएस या फिर दफ्तर से ले सकते है। हालाकि देवेन्द्र पाण्डेय सहित अन्य फर्जी डिग्रीधारी शिक्षको के मामले को लेकर भ्रष्टाचार अन्वेषण एंव मानवाधिकार परिषद उत्तर प्रदेश पीआईएल दाखिल करने की तैयारी मे है। इससे पूर्व यह संस्था फर्जी शिक्षको के सभी दस्तावेज के साथ एसटीपी के डीजीपी से मिलकर मामले की जांच कराने मांग करने वाली है। देखना दिलचस्प होगा तत्थ गोपन व कूटरचित अभिलेखो पर फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे शिक्षको का क्या होगा ?
नोट- देवेन्द्र पाण्डेय के बर्खास्तगी से संबंधित खबर अगले अंक मे भी पढे....! अगर आपके पास इस खबर से जुडी कोई जानकारी है अथवा आरोपी शिक्षक साक्ष्य के साथ अपना पक्ष देना चाहते है तो मेरे वाटसप नम्बर पर सम्पर्क कर सकते है खबर मे उनका साक्ष्य व बयान जोड दिया जायेगा।
🔵 रिपोर्ट - संजय चाणक्य
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