🔴 सम्बद्धता खत्म होने के बाद भी ब्लाक से लगायत जिला मुख्यालय पर दफ्तर और अधिकारियों के आवास पर ड्यूटी बजा रहे है सफाईकर्मी
🔴संजय चाणक्य
कुशीनगर । जिनके कंधों पर गांवों की सफाई की जिम्मेदारी है वह बड़े साहबों की जी हुजूरी कर रहे हैं। किसी को बंगले से संबद्ध किया गया है तो कोई दफ्तर का काम संभाल रहा है। ऐसे मे सवाल यह उठता है कि मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं मे शुमार स्वच्छ भारत मिशन का सपना कैसे साकार होगा? जगजाहिर है कि सैकड़ों की तादात मे सफाईकर्मी जिला मुख्यालय पर विभिन्न अफसरों के दफ्तर और आवास से संबद्ध हैं। नतीजतन, गांवों की सफाई व्यवस्था ध्वस्त है। बजबजाती नालियां और गंदगी के ढेर से ग्रामीण कराह रहे हैं जबकि शासन ने बकायदे इनकी सम्बद्धता खत्म करते हुए मूल स्थान पर तैनाती करने का आदेश जारी कर रखा है लेकिन अफसोस शासन के इस आदेश को विभाग-ए-शहंशाह फाइलों मे घुमा रहे है।
काबिलेगौर है कि 1680 सफाईकर्मियों मे से तकरीबन चार सौ सफाईकर्मी जिले से लगायत ब्लाक मुख्यालय के अधिकारियों के आवास व दफ्तरों पर ड्यूटी बजा रहे रहे है। कुछ सफाईकर्मियों पर साहब की इतनी मेहरबानी है कि इनकी हाजिरी बगले पर सब्जी पहुचाने मात्र से लग जाती है। सबसे हैरानी की बात यह है कि करीब एक दर्जन सफाईकर्मी ऐसे है जो जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय मे ड्यूटी बजा रहे है तो वही ढाई दर्जन सफाईकर्मी नौकरशाहो के वाहन चालक बने बैठे है। इसके अलावा हर विकास खण्डो पर तीन से पांच सफाईकर्मी बाबू का कार्य देख रहे है। ऐसी चर्चा है कि बाबू बनकर धौस जमाने वाले यह कर्मचारी साहब के कमाऊपुत है जो गांव मे जाकर ईमानदारी से मोदी सरकार के सपने को साकार करने वाले सफाईकर्मियों से समय समय पर वसूली कर साहब को धन लक्ष्मी पहुंचाते है। सूत्रो की माने तो डीपीआरओ, कलेक्ट्रेट व सीडीओ के वहा तैनात सफाईकर्मियों का भौकाल भी गजब है। इनके खौफ से न सिर्फ आम सफाईकर्मी बल्कि एडीओ पंचायत व बीडीओ भी सहमे रहते है। कहना न होगा कि सफाईकर्मियों की तैनाती स्थल ग्रामसभा है उन्हे वहा काम करने के एवज मे वेतन देने का प्रावधान है। इसके बावजूद शासनादेश को ताक पर रखकर सफाईकर्मियों से ब्लाक व जिला मुख्यालय के दफ्तर-आवास पर काम लिया जा रहा है।
🔴 यहा तैनात है सफाईकर्मीबतादे कि शासन द्वारा सम्बद्धता खत्म करने के बाद भी जिले के सफाईकर्मी जिला मुख्यालय स्थित डीएम कार्यालय, सीडीओ कार्यालय, निर्वाचन कार्यालय, समाज कल्याण विभाग सहित अन्य विभागों में बाबू, पत्र वाहक, चपरासी के अलावा घरों की साफ-सफाई, साहब के गाड़ियों की सफाई, गार्डेन की निराई- गुड़ाई आदि के कार्यो में लगे हुए है। मजे की बात यह है कि इन कर्मचारियों की तैनाती व डियूटी वही जिम्मेदार अधिकारी करा रहे, जिनके कंधे पर केन्द्र की मोदी व सूबे की योगी सरकार के नेक नीयत सपनो को साकार करने की जिम्मेदारी है।
🔴 सम्बद्धता खत्म कर मूल जगह तैनाती का जारी है आदेश
गौरतलब है विशेष सचिव राकेश कुमार ने 11 दिसंबर -2020 को जारी अपने पत्र मे प्रदेश के सभी सफाईकर्मियों की सम्बद्धता खत्म करने आदेश जारी किया है। विशेष सचिव ने अपने आदेश मे उन सभी कर्मचारियों को जो किसी कार्यालय व अन्य जगह सम्बद्ध है उन्हें तत्काल प्रभाव से अपने मूल तैनाती स्थल पर वापस भेजने का निर्देश दिया है। उन्होंने सम्बद्धता को लेकर शासन को मिली शिकायतों का उल्लेख भी उस आदेश पत्र में किया है।
🔴 डीपीआरओ का कोरमपूर्ति आदेश
विशेष सचिव द्वारा सम्बद्धता खत्म करने के आदेश के अनुपालन मे डीपीआरओ अभय यादव ने भी सफाईकर्मियों की सम्बद्धता खत्म करते हुए आदेश जारी किया था किन्तु यह आदेश कोरमपूर्ति तक सिमट कर रह गयी। डीपीआरओ द्वारा 25 सितंबर - 2021 को जारी पत्र संख्या- 1803/पंचायत-7/स्था0/स0क0/ 2021-22 में जिले के समस्त एडीओ पंचायत को यह निर्देशित किया गया है कि विकास खण्ड मुख्यालयों से सम्बद्ध सफाई कर्मचारियों को तत्काल ग्राम पंचायतों मे तैनाती का प्रस्ताव सुनिश्चित करे। डीपीआरओ ने अपने पत्र मे कहा है कि विकास खण्ड मुख्यालय पर सम्बद्ध सफाईकर्मियों के वजह से ग्राम पंचायतो में साफ-सफाई का कार्य प्रभावित हो रहा है जो अत्यंत खेदजनक है। उन्होंने इस मामले मे किसी प्रकार की लापरवाही व विलम्ब होनै पर सीधे तौर पर एडीओ पंचायत को जिम्मेदार ठहराया है।
🔴 आदेश के बाद डीपीआरओ कार्यालय मे डटे सफाईकर्मी, जिम्मेदार कौन?जैसा कि डीपीआरओ ने 25 सितंबर - 2021 को जारी अपने पत्र संख्या 1803/पंचायत-7/स्था0/स0क0/ 2021-22 मे सफाईकर्मियों को ब्लाक मुख्यालय से सम्बद्धता खत्म करते हुए ग्राम पंचायतो मे भेजने मे लापरवाही व विलम्ब करने पर एडीओ पंचायत को जिम्मेदार ठहराया है। ऐसे मे सवाल उठना लाजमी है कि शासन के निर्देश के दो साल बाद भी डीपीआरओ कार्यालय मे ड्यूटी बजा रहे सफाईकर्मियों की अब तक मूल तैनाती स्थल पर वापस नही जाने के लिए जिम्मेदार कौन है?
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