.... तो क्या जान देने के बाद टूटेगी प्रशासन की कुलकर्णी निद्रा - Yugandhar Times

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Monday, June 13, 2022

.... तो क्या जान देने के बाद टूटेगी प्रशासन की कुलकर्णी निद्रा

🔴 सुरेश के जान देने के बाद प्रशासन पहुचा न्याय दिलाने

🔴 संजय चाणक्य 

कुशीनगर । वह अपनी जमीन पर कब्जा पाने के लिए थाने से लगायत तहसील प्रशासन के चौखट पर माथा टेकता रहा, किन्तु अफसोस किसी ने उसकी एक न सुनी। वह बार-बार कहता था साहब न्याय नही मिला तो हम अपनी जान दे देगें। लेकिन नौकरशाह पीड़ित सुरेश की इस बात को गिदरभक्की समझते थे। अंत मे योगी सरकार के सरकारी मशीनरी से जब न्याय की उम्मीद खत्म हो गयी तो उसने जान देकर अपनी ईहलीला ही खत्म कर ली। उसके आत्महत्या के बाद प्रशासन अपनी कुंभकर्णी निद्रा से जागी और सुरेश को पट्टा व आवास देने का वादा कर अपने गुनाह पर पर्दा डालने लगी। मामला जनपद के विशुनपुरा थाना क्षेत्र के भगवानपुर का है जहां रविवार को पीडित सुरेश ने अपने कमरे के कुंडी मे फासी लगाकर अपनी जान दे दी। 

गौरतलब है कि 55 वर्षीय सुरेश साहनी पुत्र धुरी साहनी का वर्ष 1998 में नारायणी नदी की कटान में उसका घर नदी में विलीन हो गया था। बाढ़ में घर बहने पर उसने बांसगांव खलवा टोला में करीब एक डिस्मिल जमीन में फूस का आवास बनाकर अपने परिवार के साथ रहने लगा। सुरेश ठेला चलाकर अपने परिवार का पेट पालता था। गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करने के बावजूद वह सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित था। उसको न तो सरकारी आवास मिला था और न ही शौचालय।  वह अपने पांच बच्चे जिनमें चार बेटियां निशा (16), मुन्नी (11), प्रीति (8), आरती (6) और गुलाब (2) वर्ष सहित परिवार का पालन कर रहा था। उसने जब घर बनवाया तो आने-जाने का रास्ता नही था इस लिए उसने सुभाष तिवारी से 75 हजार रुपये में जमीन खरीदी। उसकी झोपड़ी बन गई तो गांव के ही मोतीलाल ने अपनी दबंगई दिखाते हुए उसकी जमीन को अपनी जमीन कहते हुए उसकी झोपड़ी उजाड़ दी। सुरेश ने इसकी शिकायत विशुनपुरा थाने से लगायत तहसील प्रशासन तक की और सभी अधिकारियों से अपनी गरीबी का दुहाई देते हुए न्याय की गुहार लगायी। परन्तु किसी ने उसकी फरियाद को गंभीरता से नही लिया।

🔴 आत्महत्या की धमकी को गिदरभक्की समझी पुलिस

पीड़ित सुरेश दबंग मोती लाल के खिलाफ थाने व तहसील पर शिकायत की। लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई। तब वह सुभाष तिवारी से जमीन के बदले दिए गए रुपये वापस मांगने लगा तो सुभाष ने पैसे लौटाने से साफ मना कर दिया। उसके बाद वह न्याय की उम्मीद मे छह माह तक अधिकारियों की चौखट पर माथा टेकता रहा। फिर उसने थाने पर प्रार्थना पत्र देते हुए कहा कि साहब अब हमके न्याय ना मिलल त हम आपन जान दे देब। बताया जाता है कि रविवार को थाने पर दोनों पक्षों को बुलाया गया। रुपये न मिलने पर सुरेश ने पुलिस के सामने ही आत्महत्या की धमकी दी। फिर न्याय न मिलने की बात कहते हुए घर चला गया। इस बार भी सुरेश की धमकी को पुलिस ने गिदरभक्की समझकर चुप्पी साध लिया।

🔴 फंदे से झूला सुरेश तो हरकत मे आयी पुलिस

बताया जाता है कि सूरेश घर पहुंचते ही पत्नी की साड़ी का फंदा बनाया लोग कुछ समझ पाते इसके पहले वह फंदा लगाकर अपनी ईहलीला समाप्त कर लिया। मामले की जानकारी जब पुलिस को हुई तो पुलिस हरकत में आ गयी। प्रभारी निरीक्षक नरेंद्र प्रताप राय व सीओ फूलचंद तत्काल मौके पर पहुचे। यहा सुरेश के पिता धुरी साहनी से तहरीर लेकर पुलिस सुभाष तिवारी और मोतीलाल चौहान के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई में जुट गई। सुरेश की मौत की जानकारी पाकर एसडीएम, कानूनगो एवं लेखपाल भी पहुंच गये। प्रशासनिक अधिकारियों ने पट्टे की जमीन और आवास देने का आश्वासन उसकी पत्नी और बच्चों को दिया। अब सवाल यह उठता है कि जीते जी सुरेश को न तो न्याय मिला, न कोई सरकारी सुविधा और सहायता मिली। ऐसे मे न्याय पाने के लिए जान देना जरूरी है क्या ? बेशक सुरेश की मौत पुरे सिस्टम की कार्य प्रणाली पर गंभीर प्रश्न चिन्ह खडा करता जिसके जबाबदेही सिस्टम है।



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