रुक्मणी विवाह के प्रसंग पर पंडाल में श्रद्धालुओं ने बरसाये फूल - Yugandhar Times

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Saturday, September 18, 2021

रुक्मणी विवाह के प्रसंग पर पंडाल में श्रद्धालुओं ने बरसाये फूल

🔴 सभी जीवों मे होता हे परमात्मा का अंश- महर्षि अजयदास

🔴 नगर के चित्रगुप्त धाम स्थित श्री चित्रगुप्त मंदिर मे आयोजित भागवत कथा का अंतिम दिन

🔴 युगान्धर टाइम्स न्यूज व्यूरो 

कुशीनगर। पडरौना नगर के चित्रगुप्त धाम स्थित श्री चित्रगुप्त मंदिर मे चल चल रही श्रीमद भागवत कथा के सातवें दिन शुक्रवार को श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह का आयोजन हुआ जिसे बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। श्रीमद भागवत कथा के अंतिम दिन कथावाचक महर्षि श्री अजयदास महराज ने रास पंच अध्याय का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि महारास में पांच अध्याय है। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण है। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। 

कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुकमणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया। कथा के दौरान महर्षि अजयदास ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण और माता रुकमणी के विवाह की मनमोहक झांकी सभी को खूब आनंदित कर रही थी। कथा स्थल पर रूकमणी विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। श्रीकृष्ण रुकमणी की वरमाला पर जमकर फूलों की बर्षा हुई। कथावाचक ने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण रुक्मणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है। उन्होंने कहा कि जीव परमात्मा का अंश है इसलिए जीव के अंदर अपारशक्ति रहती है यदि कोई कमी रहती है तो वह मात्र संकल्प की होती है।

श्री रुक्मणी विवाह महोत्सव प्रसंग पर व्याख्यान करते हुए उन्होंने कहा कि रुकमणी के भाई रुकमि ने उनका विवाह शिशुपाल के साथ सुनिश्चित किया था लेकिन रुक्मणी ने संकल्प लिया था कि वह शिशुपाल को नहीं केवल गोपाल को पति के रूप में वरण करेंगे उन्होंने कहा शिशुपाल असत्य मार्गी है और द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण सत्य मार्गी है इसलिए वो असत्य को नहीं सत्य को अपना एगी अंत भगवान श्री द्वारकाधीश जी ने रुक्मणी के सत्य संकल्प को पूर्ण किया और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में वरण करके प्रधान पटरानी का स्थान दिया। रुक्मणी विवाह प्रसंग पर आगे कथावाचक महर्षि ने कहा इस प्रसंग को श्रद्धा के साथ श्रवण करने से कन्याओं को अच्छे घर और वर की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन सुखद रहता है। उन्होंने महारास लीला श्री उद्धव चरित्र श्री कृष्ण मथुरा गमन और श्री रुक्मणी विवाह महोत्सव प्रसंग पर विस्तृत प्रकाश डाला। इस मौके पर श्री चित्रगुप्त मंदिर समिति के अध्यक्ष नरेंद्र वर्मा, महासचिव संजय चाणक्य, विष्णु श्रीवास्तव सहित बड़ी संख्या में भक्तगण मौजूद थे।



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