🔴सीएमओ की तहरीर पर दर्ज हुआ है केस
🔴 सैनिटाइजर में मिलावट कर अस्पतालों को आपूर्ति करने के आरोप मे सीएमओ के तहरीर पर दर्ज हुआ केस
🔴 एनआरएचम घोटाले मे भी आरोपी है अशोक यादव
🔴 संजय चाणक्य / विष्णु श्रीवास्तव
🔴 एनआरएचएम घोटाले में भी आ चुका है नाम
सीएमओ कार्यालय के जिस फार्मासिस्ट पर धोखाधड़ी व गबन का केस दर्ज किया गया है, उसका नाम इससे पहले भी एनआरएचएम घोटाले मे भी नाम आ चुका है। एनआरएचएम मामले मे सीबीआई ने अशोक यादव को कुशीनगर जनपद का मुख्य आरोपी बनाया है। यही वजह है कि वह इस मामले मे दो बार जेल भी जा चुके है। इस फार्मासिस्ट के जिला अस्पताल में संबद्घता को लेकर भी कई बार सवाल उठ चुके हैं लेकिन लेकिन ऊची पहुंच और अफसरों से अत्यंत नजदीकी के चलते कभी कोई कार्रवाई नहीं होती है। आरोपी फार्मासिस्ट सीएमओ दफ्तर के स्टोर का भी काम देखते हैं। मुकदमा दर्ज होने के बाद एक बार फिर से पूरा मामला चर्चा में आ गया है।
🔴 भ्रष्टाचार मे लिप्त सपा का लडला बना है भाजपा का दुलाराभ्रष्टाचार को जड से खत्म करने का संकल्प लेकर केन्द्र की सत्ता मे आयी मोदी और सूबे की योगी सरकार भ्रष्टाचारियो पर नकेल कसने मे पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है । अगर यह कहा जाय कि भ्रस्टाचारियो और माफियाओ के आगे प्रदेश की योगी सरकार घुटना टेक दी है तो गलत नहीं होगा। कारण यह है कि सपा-बसपा सरकार मे सरकारी धन को लुटकर अपना तिजोरी भरने वाले भ्रष्टाचारियो के हौसले आज भी बुलन्द है। अगर ऐसा नही होता तो फिर अब तक भ्रष्टाचार मे लिप्त, आय से अधिक सम्पति व एनआरएचएम मामले के आरोपी और सपा सरकार मे राजधानी के अधिकारियों को अपने उंगलियों पर नचाने वाले फर्मासिस्ट अशोक यादव के खिलाफ योगी सरकार कार्रवाई करने से कतराती नही।ऐसे मे यह कहना लाजमी होगा कि भ्रष्टाचार के समुन्दर मे डुबकी- पर- डुबकी लगाने वाले सपा सरकार का" लाडला फार्मासिस्ट " जिसे पूर्वाचंल का यादव सिंह कहा जाता है वह आज भाजपा का " दुलारा "बन गया है।
⏺ कौन है अशोक यादव
कुशीनगर जिले में तैनात फॉर्मासिस्ट सरकारी दस्तावेज मे भले ही अशोक यादव के नाम से पुकारा जाता है। लेकिन इनके कारनामों से वाकिफ व विभागीय लोग इनको पूर्वाचंल का यादव सिंह के नाम से जानते हैं। जिले से लेकर राजधानी तक पूर्वाचंल के इस ‘यादव सिंह’ की न सिर्फ तूती बोलती है बल्कि कुशीनगर जनपद में कौन सीएमओ रहेगा यह निर्धारण भी यह शक्स ही तय करता है। बताया जाता है कि पूर्व के अखिलेश सरकार मे इस शक्स का रसूख़ बोलता था। सत्ता के गलियारों मे अधिकारियों के चूले हिलाने की कूबत अगर कोई रखता था तो वह है अशोक यादव उर्फ पूर्वाचंल का यादव सिंह। यह कितना भी भी बड़ा घोटाला क्यों न कर ले इस शक्स के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत न तो जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी को है और न ही शासन-सत्ता मे बैठे लोगों के पास। बताया जाता है कि वर्तमान सरकार मे इनके रुतबे मे थोड़ी सी गिरावट आयी है लेकिन इनका रसूख़ इतना भी कम नहीं हुआ है कि योगी सरकार मे कोई इनका बाल--बाका बिगाड सके। जनपद में ट्रान्सफर- पोस्टिंग के मामले मे आज भी सचिवों से ज्यादा इस अशोक यादव या फिर कहे पूर्वाचंल के ‘यादव सिंह’ के नाम का ही सिक्का चलता है।
⏺ तैनाती कहीं भी हो ड्यूटी जहा चाहे वहा करेअशोक यादव जो पद के मुताबिक फार्मासिस्ट है जिनकी तैनाती नियमानुसार सीएचसी पर होनी चाहे लेकिन अपने दबंगई और ऊँच पहुंच के दम पर दो दशको से सीएमओ ऑफिस में अटैच है। यह यहा सीएमएसडी (औषधि भण्डारण एवं वितरण) के सर्वे सर्वा बने बैठे है जबकि यह पद चीफ फार्मासिस्ट का है और ऐसा नहीं है कि जनपद मे कोई चीफ फार्मासिस्ट नहीं है। बावजूद इसके सीएसओ कार्यालय मे दो दशको से अशोक यादव का उधार के पद पर बने रहना अपने आप मे एक सवाल है? महत्वपूर्ण बात यह है कि श्री यादव की मूल तैनाती पडरौना स्वास्थ्य केंद्र में क्षय रोग विभाग में फॉर्मासिस्ट के रूप में है लेकिन 22 वर्षों से लगातार सीएमओ कार्यालय मे बैठकर सरकारी धन धन का बन्दरबाट कर स्वास्थ्य विभाग को भ्रष्टाचार की भट्ठी मे झोक दिया है।
⏺ डसना जेल की हवा खा चुके है ‘अशोक यादव
फार्मासिस्ट अशोक यादव भ्रष्टाचार के मामले मे दो बार डसना जेल की हवा भी खा चुके है। इनकी दबगई का अंदाजा इस बात से लगाई जा सकती है कि दो बार जेल जाने के बावजूद भी यह कभी निलंबित नही हुए और न ही इनके सर्विस मे इनका ड्युटी कभी ब्रेक हुआ। यह जेल मे रहते हुए सीएमओ कार्यालय मे ड्युटी बजाते रहे और पूरे माह का अपना वेतन उठाते रहे ऐसा सूत्रो का कहना है। इतना ही नही भ्रष्टाचार और आय से अधिक सम्पति के आधा दर्जन मामलों पर जांच चलने और दो-दो बार जेल जाने के बाद भी अशोक यादव सीएमओ कार्यालय मे उधार के पद पर जमे हुए है।
⏺ पहले भी दर्ज हुआ है पडरौना कोतवाली मे धोखधड़ी का मुकदमा
सामाजिक कार्यकर्ता राणा राय द्वारा दिए गए तमाम साक्ष्य अशोक यादव को पूर्वाचंल का यादव सिंह कहने और इनके कारनामे को उजागर करता है। साक्ष्य के मुताबिक अशोक यादव ने 1996-97 में अपना ट्रान्सफर को रुकवाने के लिए तत्कालीन सीएमओ डॉ. शील कुमार सिंह का फर्जी हस्ताक्षर कर डीओ लेटर तैयार कर अपने जगह पर अशोक पाण्डेय का ट्रान्सफर करवा दिया था। मामले की जानकारी होने के बाद तत्तकालिन सीएमओ ने पडरौना कोतवाली में श्री यादव खिलाफ धारा 419, 4 20 धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था। जो अभी भी सीजीएम कोर्ट में विचाराधीन है।राणा राय ने आरोप लगाते हुए कहा की एनआरएचएम भर्ती के दौरान अशोक यादव व डा०ताहिर अली ने खूब गडबडी और घालमेल किये है। उनहोने बताया कि गडबडी का आलम यह है कि डा० ताहिर ने अपने भाई शाहिद अली की नियुक्ति कर दिया जब कि वह कमेटी के सदस्य थे। उस कमेटी मे चीफ फार्मासिस्ट की जगह फर्मासिसट अशोक यादव बैठे थे।
⏺ करोडो के मालिक हैं ये अशोक यादव
एक मामूली फार्मासिस्ट होने के बावजूद अशोक यादव अकूत संपत्ति के मालिक हैं। जानकारी के मुताबिक, इसका ठाट नेताओं जैसे है। बड़ा घर, बड़ी गाड़ी, करोड़ों की चल-अचल सम्पत्ति बेटे-बेटी दोनों लखनऊ और नेपाल के जनकपुर के निजी संस्थान से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। ऑफिस का ठाट ऐसा जैसे सीएमओ यही हो। यह जिस लग्जरी गाडी से चलते उस पर भी उत्तर प्रदेश सरकार का लोगो चमकता हुआ दिखता है। जनाब ने इतनी धन उगाही की है जिससे की इन्होंने अपने बेटे के नाम से 68 लाख की जमीन खरीद रखी है।
⏺ क्यों नहीं हुई कार्रवाई?ताज्जुब की बात ये है कि जेल में निरुद्ध होने के बाद भी फार्मासिस्ट अशोक यादव पर इस मामले में कोई कार्रवाई क्यों नही हुई? । सपा सरकार मे अन्दरूनी पैठ के कारण कार्रवाई न होने की बात तो समझ मे आती है किन्तु योगी सरकार मे अशोक यादव जैसे भ्रस्टाचारी के खिलाफ कार्रवाई न होना यक्ष प्रश्न बना हुआ है जो कुछ और इशारे कर रही है ।
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