🔵युगान्धर टाइम्स व्यूरो
कुशीनगर। भ्रष्टाचार अन्वेषण एंव मानवाधिकार परिषद ने डीआईओएस कार्यालय कुशीनगर मे कनिष्क लिपिक से नियम विरुद्ध पदोन्नति हासिल कर बिना पद के कुण्डली जमाये बैठे सुभाष प्रसाद यादव की फर्जी नियुक्ति से संबंधित शिकायत अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा एंव माध्यमिक शिक्षा उत्तर प्रदेश शासन से कर निष्पक्ष जांच कराकर कार्रवाई करने की मांग की है। संगठन ने सुभाष प्रसाद द्वारा कूटरचित दस्तावेज के सहारे फर्जी तरीके से नौकरी हासिल करने का दावा किया है।
बतादे कि सुभाष प्रसाद यादव की नियुक्ति 6 अक्टूबर 1989 मे अनौपचारिक शिक्षा परियोजना मे कसया विकास खण्ड में परिचारक के पद पर हुई थी, उस समय पडोसी जनपद देवरिया मे कुशीनगर जनपद समाहित था। सूत्र बताते है कि सुभाष यादव की कोई रिश्तेदार परियोजना अधिकारी थी और उन्ही के द्वारा इस परियोजना मे सुभाष की नियुक्ति परिचारक के पद पर की गयी थी। कसया विकास खण्ड मे नियुक्ति के पश्चात परिचारक के पद सुभाष यादव 16 अप्रैल-2001 तक कार्यरत रहे। मतलब 11 वर्ष 6माह 9दिन इन्होने अपनी सेवा दी। अनौपचारिक शिक्षा परियोजना समाप्त होने के बाद चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया वही अनौपचारिक शिक्षा के अनुदेशको को वर्ष 2001 मे सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान में विलय कर दिया। अनौपचारिक शिक्षा अनुदेशक महेश कुमार, रामनरेश भारती, सूर्य प्रकाश का कहना है कि अनौपचारिक शिक्षा परियोजना के समाप्त होने के बाद अनुदेशको को सर्वशिक्षा अभियान से जोड लिया गया जबकि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को हटा दिया गया बाद मे सर्व शिक्षा अभियान को भी सरकार ने बंद कर सभी अनुदेशको को भी बेरोजगार बना दिया।
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🔵 रिपोर्ट - संजय चाणक्य




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