🔴 डीआईओएस दफ्तर कुशीनगर मे नही सृजित है वरिष्ठ सहायक का पद, फिर कैसे हुआ वरिष्ठ सहायक पर पदोन्नति
🔵युगान्धर टाइम्स व्यूरो
कुशीनगर। उच्च न्यायालय के आदेश को ठेंगा दिखाने व बिना पद के कुण्डली जमाये बैठे वरिष्ठ लिपिक सुभाष यादव का पदोन्नति नियम विरुद्ध है, ऐसा जानकारों का दावा है। जानकारों का तर्क है कि जब डीआईओएस दफ्तर मे वरिष्ठ लिपिक का पद ही नही सृजित है तो फिर डीआईओएस कार्यालय में कनिष्क लिपिक रहे सुभाष यादव का उसी डीआईओएस आफिस मे वरिष्ठ लिपिक के पद पर पदोन्नति कैसे हो गया? सवाल जायज है जो न सिर्फ जांच का विषय है बल्कि जिम्मेदारो की जवाबदेही भी है।
🔴 जानकर बोले
माध्यमिक शिक्षा के विशेषज्ञों का कहना है कि जिस विभाग मे पद सृजित न हो वहा बिना पद के पदोन्नति नही हो सकता है।विशेषज्ञों का कहना है कि डीआईओएस कार्यालय कुशीनगर मे वरिष्ठ सहायक का पद सृजित नही है ऐसे में कनिष्ठ सहायक का पदोन्नति वरिष्ठ सहायक के पद पर किसी भी सूरत मे नही हो सकती है। विधि विशेषज्ञों का दावा है कि सुभाष प्रसाद यादव का पदोन्नति नियम विरुद्ध व अवैध तरीके से हुई है निष्पक्ष जांच हुई तो दूध का दूध पानी का पानी साफ हो जायेगा।
जानकारों के तर्क के अनुसार अगर सुभाष प्रसाद यादव का पदोन्नति नियम विरुद्ध है तो फिर तीन वर्षों से वरिष्ठ सहायक पद का लाभ लेते हुए डीआईओएस दफ्तर में कुण्डली जमाये बैठे सुभाष यादव के वेतन आहरण पर भी सवाल उठना स्वभाविक है? यहां बताना जरूरी है कि सुभाष यादव की चपरासी के पद पर हुई नियुक्ति के बाद नियम विरुद्ध पदोन्नति पाकर बने वरिष्ठ सहायक तक सफर पर गौर करे तो सुभाष यादव लगभग 26 वर्षो से नौकरी कर रहे है। इस दरम्यान एक बार उनका स्थानांतरण देवरिया जनपद के रामपुर कारखाना स्थित डायट पर हुआ था किन्तु अपने रसूख के दम पर महज ढाई महीने बाद ही कुशीनगर वापस लौट आये जबकि शासनादेश के मुताबिक एक पटल पर किसी कर्मचारी को तीन वर्ष व जनपद मे पांच वर्ष तक ही रहने का प्राविधान है। ऐसे में सुभाष यादव का लगभग 26 वर्षो से कुशीनगर में जमें रहना भी सवाल के घेरे में है।


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