व्रती माताओं ने डूबते हुए भगवान भास्कर को दिया अर्घ्य - Yugandhar Times

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Thursday, November 7, 2024

व्रती माताओं ने डूबते हुए भगवान भास्कर को दिया अर्घ्य

🔵पुत्र की कामना और उनकी दीर्घायु के लिए भगवान तपपन की उपासना का पर्व 

🔴 छठ घाटों पर महिलाओं की रही भीड

🔵 युगान्धर टाइम्स न्यूज नेटवर्क 

कुशीनगर। जनपद के विभिन्न छठ घाटों पर गुरुवार को व्रती माताओं ने डूबते हुए भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य दिया और पूजा-अर्चना कर  सुख, शांति व समृद्धि की कामना की। चार दिनो तक चलने वाले इस महापर्व के आखिरी दिन शुक्रवार को श्रद्धालु सुबह उगते हुए भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित कर उपवास तोडेगी। 

🔴लोक आस्था और सू्र्य उपासना का पहला अर्घ्य

लोक आस्था और सू्र्य उपासना के पर्व छठ के तीसरे दिन गुरुवार को पहला अर्घ्य दिया गया। शाम के समय डूबते हुए भगवान तपन (सूरज) को नदी व पोखरो के किनारे जल चढ़ाया गया। पडरौना नगर सहित जिले के सभी छठ घाटों पर हजारों की संख्या मे श्रद्धालुओं ने आस्ताचलगामी होने वाले भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और पूजा-अर्चना की।

🔴 पानी मे तैरते दीये से जगमग हो उठे घाट 

छठ पूजन के अवसर पर गांव से लेकर शहर तक घाटों पर श्रद्धा का सैलाब दिखा। जिले के प्रमुख बाजार व कस्बों समेत नगरीय क्षेत्र के रंग-बिरंगी रोशनी से नहा उठे घाटों का नजारा देखने लायक था। भक्ति भाव से ओत प्रोत हर कोई बस भगवान भाष्कर की ओर ही निहार रहा था। आंखों से ओझल होने तक टकटकी लगाए व्रती महिलाएं पानी में खड़ा होकर अ‌र्घ्य दे रही थीं। क्षण भर में ही हर ओर पानी में तैरते दीयों से जगमग हो रहे घाटों की शोभा आकर्षण का केंद्र बनी रही। सुरक्षा की बाबत सभी घाटों पर पुख्ता इंतजाम किए गए थे।

🔴 घाटों पर सुरक्षा के इंतजाम

षष्ठी छठ के तीसरे दिन पर्व को लेकर व्रती महिलाएँ घाट से लेकर विभिन्न नदियों के तटों, तालाब और जलाशयों पर पहुंची और भगवान भास्कर की विधिवत पूजा-अराधना की। घाटो पर छठ पूजा के पारंपरिक गीत गूंजते रहे। जिले के सभी छठ घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे।

🔴उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा समापन

खरना के साथ ही व्रती माताओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया था। पर्व के चौथे और अंतिम दिन यानी शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद श्रद्धालुओं का व्रत संपन्न हो जाएगा। इसके बाद व्रती महिलाएं अन्न-जल ग्रहण कर 'पारण' करेंगी। हिंदू परंपरा के अनुसार, कार्तिक और चैत्र माह में छठ व्रत का आयोजन होता है। इस दौरान उपवास रहने वाली माँए भगवान प्रकाशक की अराधना करती हैं। 

🔴 छठ गीतों की रही धूम

छठ की संध्या पर अर्ध्य को लेकर जगह-जगह छठ गीत से पूरा वातावरण गुंजयमान रहा। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में संध्या अर्ध्य को लेकर छठ घाटों पर भारी संख्या मे भीड़ रही। शुक्रवार को सुबह उदीयमान भगवान तपन को अर्घ्य अर्पित करने के साथ छठ महापर्व का समापन होगा। खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया था। पर्व के चौथे और अंतिम दिन यानी शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद श्रद्धालुओं का व्रत संपन्न हो जाएगा. इसके बाद व्रती अन्न-जल ग्रहण कर 'पारण' करेंगी।

🔵 रिपोर्ट - संजय चाणक्य 

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