विवादित भूमि पर कानूनगो ने लगाया निर्विवाद का रिपोर्ट - Yugandhar Times

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Tuesday, July 4, 2023

विवादित भूमि पर कानूनगो ने लगाया निर्विवाद का रिपोर्ट

🔵तमकुहीराज तहसील क्षेत्र के सैकडों वर्षों से स्थापित संतो की समाधि स्थल व मठ की भूमि पर विवाद का मामला

🔴 उपनिरीक्षक ने विवादित मठ की भूमि पर शान्ति भंग की अंदेशा जताते हुए रिसीबर नियुक्ति करने की दी थी रिपोर्ट 

🔵 युगान्धर टाइम्स व्यूरो 

कुशीनगर। यूपी बिहार के सीमा पर स्थित वर्षों पुरानी सनातनी मठ और पूर्व कालीन महंथो की भूमि पर चल रही विवाद में राजस्वकर्मियो की भूमिका संदिग्ध है। सबब यह ह कि हाल ही में तत्कालीन एसडीएम तमकुहीराज के आदेश पर कानूनगो   ने जहां मठ की जमीन को निर्विवाद बताया है वही पुलिस प्रशासन द्वारा सौपी गयी रिपोर्ट मे न्यायालय में विचाराधीन वाद का उल्लेख व मौके की स्थिति का मुआयना कर शान्ति भंग की उम्मीद जताते हुए मठ की जमीन पर रिसीबर नियुक्ति करने की स्तुति की गयी है। मजे की बात यह है कि नायब तहसीलदार ने भी अपनी जांच मे पुलिस की रिपोर्ट को सही ठहराया है। ऐसे मे सवाल उठना लाजिमी है कि कानूनगो अशोक वर्मा ने झूठी रिपोर्ट क्यो दी ? कही ऐसा तो नही कि कानूनगो विपक्षी से मोटी रकम वसूलकर यह रिपोर्ट तैयार किये थे ? या फिर कानूनगो के पास विवादित मामलो को समझने में तजुर्बा की कमी है? वजह कुछ भी हो लेकिन मामला जांच का विषय है 

काबिलेगौर है कि तमकुहीराज तहसील क्षेत्र व तरयासुजान थाना अंतर्गत ग्राम डुमरिया मे सैकडों वर्षों से संतो की समाधि स्थल व मठ की भूमि है। इस पर गांव के एक दबंगों द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर बेचने का प्रयास किया जा रहा है। बताया जाता है कि मठ की जमीन को बचाने की गरज से मठ के महंत के शिष्य रुद्रानंद गिरी ने न्यायालय की शरण मे गुहार लगाया था। इस पर कोर्ट द्वारा मठ की जमीन को बेचने से रोक लगाते हुए स्टे कर दिया गया। इसके बावजूद विपक्षी कोर्ट के आदेश को ताक पर रखकर मठ की जमीन बेच रहे है। 

🔴जप्ती के लिए एसडीएम कोर्ट मे लगायी गुहार 

वाद-विवाद और खूनी संघर्ष के भय से मठ के महंत के शिष्य रुद्रानंद गिरी ने मठ की जमीन को बेचने से रोकने व विवाद से बचने के उद्देश्य से एसडीएम तमकुहीराज के कोर्ट मे जप्ती का वाद दाखिल किया था। इस पर एसडीएम ने कानूनगो व पुलिस विभाग से मौका-ए-स्थिति की रिपोर्ट प्रेषित करने का निर्देश दिया। एसडीएम तमकुहीराज के निर्देश के अनुपालन में कानूनगो अशोक वर्मा द्वारा अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत किया जिसमे मठ की जमीन को निर्विवाद बताकर कोर्ट को गुमराह किया गया है जबकि सूत्रों का कहना है कि मठ की उस जमीन पर पुलिस पहले से धारा 107,116 की कार्रवाई कर चुकी है इसके अलावा उस जमीन को लेकर पहले से न्यायालय मे मामला विचाराधीन है। इधर पुलिस द्वारा दिये गये रिपोर्ट मे उक्त तथ्यों का उल्लेख कर शान्ति भंग की संभावना जताते हुए रिसीबर नियुक्ति करने की बात कही गयी है। अब सवाल यह उठता है कि कानूनगो अशोक वर्मा ने झूठी रिपोर्ट क्यो लगायी ? कही इसके पीछे कानूनगो और विपक्षी के बीच बडी डिलिंग तो नही हुई है? बेशक! यह जांच का विषय है। मजे की बात यह है कि  एसडीएम ने पुलिस विभाग की रिपोर्ट को दरकिनार कर कानूनगो के रिपोर्ट को तरजीह देते हुए रुद्रानंद गिरी के जप्ती के वाद को खारिज कर दिया। जानकार बताते है कि जप्ती की कार्रवाई मे पुलिस विभाग की रिपोर्ट महत्वपूर्ण होती है। इसके बावजूद एसडीएम ने पुलिस की रिपोर्ट को नजरअंदाज कर वाद को खारिज कर दिया। 

🔴 डीएम कोर्ट मे किया अपील

कानूनगो के रिपोर्ट पर तत्कालीन एसडीएम तमकुहीराज द्वारा जप्ती का वाद खारिज किये जाने के बाद मठ के महंत के शिष्य रुद्रानंद गिरी ने डीएम कोर्ट मे जप्ती की कार्रवाई के लिए वाद दाखिल किया है। रुद्रानंद गिरी ने बताया कि इस मामले में नायब तहसीलदार ने जो रिपोर्ट दी है उसमे पुलिस की रिपोर्ट को सही ठहराया गया है, वह रिपोर्ट डीएम कोर्ट मे लगी है। उन्होने बताया कि उस जमीन पर स्टे है इसके वाबजूद विपक्षी अपने दबंगई के बल पर मठ की जमीन बेच रहा है। जमीन बचाने और विवाद से बचने के लिए जप्ती की कार्रवाई के लिए वाद दाखिल किया है। कहना न होगा कि एक तरफ सरकार पुरातन धरोहरों को बचाने में लगी है वही दूसरी तरफ यूपी बिहार के सीमा पर स्थित डुमरिया मठ राजस्वकर्मियो की संदिग्ध भूमिका के वजह से अपने आस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है।



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