🔴कबाड की आड मे अवैध तरीके से गाड़ियों का खरीद-बिक्री
🔴 संजय चाणक्य
कुशीनगर । जनपद के पडरौना नगर के बडी गंडक नहर के किनारे स्थित कबाडी के दुकान पर डेढ दर्जन से अधिक विभिन्न कम्पनियों के पुरानी मोटरसाइकिले छिपाकर रखी गयी है, जिसका कोई कागजात नही है। सूत्र बताते है कि इसमे तमाम गाड़ियां चोरी के है। हालाकि कबाडी हरगोविंद जायसवाल का कहना है कि वह छह माह पूर्व पडरौना कोतवाली से सभी गाड़ियां निलामी मे लिए है लेकिन मजे की बात यह है कि इनके पास निलामी से संबंधित कोई कागजात नही है जबकि निलामी की प्रक्रिया यह है कि थाने से बकायदे उसकी कागजात दी जाती है।
काबिलेगौर है कि जनपद के पडरौना नगर सहित विभिन्न क्षेत्रों में कबाड़ का बड़ा खेल चल रहा है। कबाडी हरगोविंद जायसवाल इस खेल का एक बानगी है। बडी गंडक नहर के किनारे स्थित इनके कबाड की दुकान पर डेढ दर्जन से अधिक मोटरसाइकिले कबाडो के बीच छिपाकर कर रखा गया है। जब मीडिया ने हरगोविंद जायसवाल से पूछा कि इतनी बडी संख्या मे कबाड की दुकान पर मोटरसाइकिले कहा से आयी है कबाड मालिक ने कहा छह माह पूर्व उसने यह सभी गाड़ियां पडरौना कोतवाली से निलामी मे लिया है जब मीडिया ने निलामी से संबंधित कागजात दिखाने की बात कही तो कबाड मालिक ने दो टूक मे जबाब दिया कि कोतवाली ने उन्हें कोई कागजात नही दी है। अब सवाल यह उठता है कि निलामी की प्रक्रिया सरकारी कार्रवाई का एक हिस्सा है जिसकी सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद बकायदे उसकी कागजात उपलब्ध करायी जाती है। ऐसे मे अगर हरगोविंद जायसवाल ने कोतवाली पडरौना द्वारा निलामी की गयी गाड़ियों को अपने कबाड की दुकान पर रखा है तो फिर उनके पास निलामी से संबंधित कागजात क्यो नही है? अगर हरगोविंद का कहना सच है और वह पडरौना कोतवाली से निलामी की गयी गाड़ियों को अपने कबाड की दुकान पर छिपाकर रखा है तो फिर छह माह गुजर जाने के बाद भी कोतवाली पुलिस ने हरगोविंद जायसवाल को निलामी से संबंधित कागजात अब तक उपलब्ध क्यो नही करायी है? सूत्र बताते है कि इसी कि आड मे कबाड मालिक द्वारा चोरी की गाड़ियों का खरीद-बिक्री भी किया जाता है।
ऐसी चर्चा है कि परिवहन और पुलिस विभाग से बिना एनओसी लिए कबाड मालिक पुराने वाहनों की खरीद और बिक्री का अवैध कारोबार चला रहे है। बताया जाता है कि कई वाहन मालिक लाखों रुपये का टैक्स बकाया लगाकर गाडिय़ों को कबाड़ के भाव बेच कर राजस्व की क्षति पहुंचा रहे हे। ऐसे में परिवहन विभाग टैक्स वसूली के लिए गाड़ियां ढूढता है और गाडिय़ां स्क्रैप के भाव बिक जाती है। इससे शासन को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। नियम के मुताबिक हर पुराने वाहन को कबाड़ में बेचने से पहले परिवहन विभाग का रजिस्ट्रेशन निरस्त कराना पड़ता है जब कि पडरौना बडी गंडक नहर के किनारे स्थित कबाड मालिक हरगोविंद जायसवाल द्वारा निर्धारित नियमों का उल्लंघन कर वाहनों की खरीदी-बिक्री की जा रही है। इनके कबाड के दुकान पर पुराने वाहन काटकर पार्ट-पार्ट अलग करके बेचा जा रहा है। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि इस गोरखधंधे की आड़ में कबाड़ी चोरी की गाडिय़ां भी खरीदकर स्कै्रप बनाकर बेचता है। परिवहन और पुलिस विभाग अभी तक इस अवैध कारोबार में लिप्त कबाडिय़ों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सका है।
जानकारो की माने तो पुराने वाहनों को कबाड़ में खरीदी-बिक्री से पहले पुलिस विभाग की एनओसी लेना जरुरी होता है। कबाड़ में बेचे जा रहे वाहन पर कोई अपराध तो दर्ज नहीं है इसको लेकर पुलिस एनओसी जारी करती है। कई बार वाहनों पर दुर्घटना या अन्य कोई अपराध दर्ज होते है। ऐसे में वाहन को नहीं बेचा जा सकता। कबाड़ी कम कीमत पर ऐसे वाहन खरीदते है और स्क्रैप बनाकर बेच देते है। इन अवैध कारोबार से पुलिस विभाग बेखबर है।
🔴चोरी के वाहन स्क्रैप बनाकर बेच रहे
सूत्रो की माने तो नहर के पटरी के किनारे स्थित कबाडी की दुकान पर कबाड़ की आड़ में कबाड़ी चोरी के वाहनों की खरीदी-बिक्री का अवैध कारोबार कर रहे है। इसके बाद चोरी के वाहन स्क्रैप कर बेच दिए जाते है। जानकार कहते है कि कबाडिय़ों की रूटीन जांच न होने के कारण अवैध कारोबार बेखौफ संचालित किया जा रहा है।
🔴 क्या है नियम
स्क्रैप में वाहन की खरीदी-बिक्री के लिए एक प्रक्रिया होती है। आरटीओ कार्यालय वाहन का रजिस्ट्रेशन निरस्त करता है। इसके लिए उक्त वाहन का टैक्स ऑडिट, पुलिस रिपोर्ट और धारा 86 के तहत प्रक्रिया पूरी की जाती है। इस प्रक्रिया को पूरी किए बगैर वाहनों को स्क्रैप में काटना अवैधानिक है।
इस संबंध मे पडरौना कोतवाली का कहना है कि अगर नीलामी लिया गया है तो उसकी कागजात कबाडी के दुकानदार के पास होगी। कागजात नही है तो मामला संदिग्ध है उसको दिखवाता हूं। इसी क्रम में एआरटीओ विभाग के आरआई का कहना है कि नीलामी होती है तो सरकारी कोष मे पैसा जमा करने के बाद तत्काल उसकी कागजात दी जाती है उस पर तमाम शर्तें लिखी होती है। अगर कबाड मालिक के पास नीलामी से संबंधित कागजात नही है तो कुछ गड़बड़ है।
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