🔴 वर्ष 2019 में 23 लाख की लागत से तीन सौ मीटर आरसीसी सड़क का हुआ था टेंडर
🔴 युगान्धर टाइम्स व्यूरो
कुशीनगर। नगरपालिका कुशीनगर द्वारा सिचाई विभाग के जमीन पर नगर पालिका कुशीनगर द्वारा नियम विरुद्ध अवैध तरीके से सड़क निर्माण कराये जाने का मामला प्रकाश मे आया है। बताया जाता है कि सड़क निर्माण शुरू कराने से पहले नगर पालिका की ओर से सिचाई विभाग से न तो अनुमति ली गयी है और न ही एनओसी प्राप्त किया गया है। मजे की बात यह है कि वर्ष 2019 मे नगरपालिका द्वारा सडक निर्माण के लिए निकाले गये टेण्डर पर चार वर्ष बाद निर्माण कराया जा रहा है वह भी जमीन का बिना पैमाइश कराये और बगैर एनओसी लिए। ऐसे सवाल उठना लाजमी है कि सरकारी जमीन पर नगर पालिका की ओर से नियम विरुद्ध तरीके से कराये जा रहे सड़क निर्माण कहा तक जायज है।
काविलेगौर है कि सिचाई विभाग के बाढ़ खण्ड के अधीन आने वाला नाला, भलुही मदारी पट्टी से लोहियवा पुल होते हुए सबया के समीप हिरण्यवती नदी में जाकर मिलता है। यह पूरा क्षेत्र नगर पालिका कुशीनगर के अंतर्गत आता है। नगर के कसया-गोरखपुर मार्ग पर स्थित लोहियवा पुल के दक्षिण ओर नगर पालिका द्वारा सिचाई विभाग की जमीन पर आरसीसी सड़क का निर्माण कराया जा रहा है। बताया जाता है कि नगर पालिका प्रशासन की ओर से न तो सिचाई विभाग से अनुमति और एनओसी ही ली गई है और न ही जमीन की पैमाइस ही कराई गई है। ऐसे मे कहना मुनासिब होगा कि नगर पालिका द्वारा मनबढई के दम पर सिचाई विभाग की जमीन पर अबैध कब्जा कर निर्माण कराया जा रहा है। कहना ना होगा कि नगर पालिका द्वारा कराये जा रहे आरसीसी सड़क के निर्माण के लिए वर्ष 2019 में नगर पालिका की ओर से टेंडर निकाला गया था। 23 लाख रुपये की लागत से बनने वाले तीन सौ मीटर की सड़क का निर्माण कार्य चार वर्ष बाद शुरू किया गया है। यक्ष प्रश्न यह है कि जब टेण्डर वर्ष 2019 मे निकाला गया था तो निर्माण कार्य चार वर्ष बाद क्यो कराया जा रहा है इसके पीछे अखिरकार नगर पालिका प्रशासन की मंशा क्या है। कही ऐसा तो नही कि चार वर्ष पूर्व निकाले गये टेन्डर पर बिना कार्य कराये भुगतान करा लिया गया है और फिर उसी टेन्डर पर अब निर्माण कार्य कराया जा रहा है। यह सरकारी कार्य है कुछ भी संभव है इस लिए जनहित में इसकी जांच जरूरी है। इस संबंध मे नगर पालिक परिषद कुशीनगर के ईओ प्रेमशंकर गुप्ता ने बताया कि अभी पैमाइश नही हुई है, एनओसी को लेकर प्रक्रिया चल रही है।
🔴एंटी भू-माफिया कानून का उडा रहे माखौल
कहना न होगा किसिंचाई विभाग बाढ खंड के अधिकारियों के गैरजिम्मेदाराना के कारण नहरों और नालों के जमीन पर बिना पैमाइस कराये और बगैर एनओसी व अनुमति लिये ही सड़क व इमारतें बन गई है। बावजूद इसके सिंचाई विभाग के अधिकारी धृतराष्ट्र बने बैठे है। नतीजतन जहां सरकारी जमीनों पर धड़ल्ले से अवैध कब्जे कर लोग एंटी भू-माफिया कानून का माखौल उडा रहे है। वही नहरों और नालों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है। बताया जाता है कि सिचाई विभाग बाढ़ खण्ड के जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते पूर्व में भी विभाग की जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा कर कई इमारतें और चबूतरा बना लिया गया है जिसके वजह नाले की सफाई ठीक ढंग से नहीं पाती है और बारिश के दिनों में जलनिकासी की समस्या से नगरवासियों को दो-चार होना पड़ता है।
🔴 जिम्मेदारो की उदासीनताबताया जाता है कि नाले पर अबैध कब्जे को लेकर यहा के नागरिकों ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को तमाम बार शिकायती पत्र दिये है लेकिन अफसोस उन शिकायती पत्रो पर आज तक कोई कार्रवाई नही हुई। जबकि शासनादेश के मुताबिक सरकारी जमीन पर अवैध कब्जाधारकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराते हुए जुर्माना वसूल किये जाने का प्रावधान हैं लेकिन एक भी अवैध कब्जाधारक के खिलाफ तो मुकदमा दर्ज हुआ और न ही किसी अवैध कब्जाधारियो से जुर्माना वसूल किया गया है। यही वजह है कि तकरीबन एक दर्जन से अधिक लोगों ने सिंचाइ विभाग की जमीन पर अवैध तरीके से कुण्डली जमाये बैठे है। कब्जे कर लिए हैं। इस सम्बन्ध में जब सिचाई बाढ़ खण्ड के अधिशासी अभियन्ता एम.के.सिह के मोबाइल पर कई बार फोन कर उनका पक्ष लेने का प्रयास किया गया किन्तु उनसे बात नही हो सकी।
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