रसूख और ऊँची पहुँच के चलते वर्षो से तहसील में जमे दो चर्चित लेखपाल - Yugandhar Times

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Thursday, July 8, 2021

रसूख और ऊँची पहुँच के चलते वर्षो से तहसील में जमे दो चर्चित लेखपाल

🔴 कसया तहसील मे वर्षो से कुण्डली मार बैठे है यह रसूखदार लेखपाल, आय से अधिक है सम्पत्ति इनके पास

🔴 संजय चाणक्य 

कुशीनगर। सूबे मे सरकार चाहे किसी की भी हो लेकिन जनपद के कसया तहसील मे अगर किसी का जलवा कायम रहता है तो वह है ब्रजेश मणि और हरिशंकर सिंह। पेशे से यह दोनो लेखपाल है लेकिन इनका रुतबा किसी एसडीएम से तनिक भी कम नही है। चर्चा-ए-सरेआम है कि महज पचास हजार रुपये महीना पगार उठाने वाले इन लेखपालो ने अपने रुतबे के दम पर अकूत और बेनामी संपत्ति का जखिरा इकट्ठा कर रखा  है। इनके ठाठ-बाट और एशो-आराम की कल्पना करना सरकारी नौकरी करने वाले सामान्य कर्मचारियों के लिए महज एक सपना मात्र है कसया तहसील के मिनी एसडीएम के नाम से चर्चित इन दोनो लेखपालो के रसूख का अंदाजा इसी बात से लगायी जा सकती है कि इनके स्थानांतरण से लेकर इनके खिलाफ कार्रवाई करने की जुर्रत जिले के आला अफसर से लगायत मण्डल के हुक्मरान भी नही करते है।

काबिलेगोर है कि तहसीलों में बढ़ती जन शिकायतों के पीछे वर्षों से लेखपालों की एक जगह तैनाती सबसे बड़ी वजह है। इतना ही नही वर्षो से एक तहसील मे कुण्डली मारकर बैठने के कारण यह लेखपाल पहले अपने रुतबे के दम पर अपने रसूख का मकडजाल बुनते है उसके बाद जिले और फिर मण्डल स्तर पर अपना जुगाड़ लगाते हुए सीधे राजस्व परिषद मे पकड बनाकर अपना भौकाल कायम करते है। नतीजतन इनके भौकाल देख एसडीएम से लगायत डीएम भी इनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने से परहेज करते है। कसया तहसील मे वर्षो से कुण्डली मारकर बैठे लेखपाल ब्रजेश मणि और हरिशंकर सिंह भी इस कटघरी मे शामिल है। यही वजह है कि इनके लिए राजस्व परिषद के नियमों और शासनादेश कोई मायने नही रखता है जबकि नियमानुसार एक तहसील में किसी भी लेखपाल दस वर्षों से ज्यादा समय तक तक रहने का कोई प्रावधान नही है। इतना ही नही राजस्व परिषद के नियम के मुताबिक एक क्षेत्र में तीन वर्षो से ज्यादा किसी भी लेखपाल की तैनात नहीं रह सकती है। दोबारा उस लेखपाल को उस क्षेत्र में तब तक तैनात नहीं किया जा सकता जब तक कि वह लेखपाल क्षेत्र छोड़ने की तारीख से कम से कम पांच वर्ष तक दूसरी जगह समय न बिता चुका हो। लेकिन कसया तहसील में एक दर्जन से ज्यादा लेखपाल यहां 10 वर्षों से ज्यादा समय से तैनात हैं।कुछ लेखपाल पर फर्जी वसीयत तैयार करने और पीड़ितों से वसूली के भी आरोप हैं। जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी वर्ष से एक ही तहसील मे जमे हुए है। 

🔴 कौन है ब्रजेश मणि और हरिशंकर सिंह 

लेखपाल ब्रजेश मणि त्रिपाठी व हरिशंकर सिंह मे काफी कुछ एक समान है। दोनो देवरिया जनपद के मूल निवासी है, दोनो पेशे से लेखपाल है, दोनो की पहली पोस्टिंग वर्ष 1994 मे हाटा तहसील मे हुई थी, और दोनो वर्ष 1995 मे एक साथ कसया तहसील मे आये थे। फर्क है तो बस इतना कि ब्रजेश मणि वर्ष 1995 से कसया तहसील मे कुण्डली मारकर अंगद की पांव की तरह जमे  हुए है चर्चा-ए-सरेआम है कि विगत ढाई दशक से इनका स्थानांतरण करने की जुर्रत न तो जिले के आला अफसरों है को हुई और न ही मण्डल हुक्मरानों को, जबकि हरिशंकर सिंह वर्ष 2007 में पडरौना तहसील के लिए स्थानांतरित जरूर हुए थे लेकिन अपने रसूख और प्रभाव के दम पर एक माह बाद पुन:कसया तहसील मे अपनी वापसी करा लिया। नतीजा यह हुआ कि विगत ढाई दशको मे यह दोनो साहब अकूत व बेनामी संपत्ति के मालिक बन गये। इतना ही नही  इनका लाइफ स्टाइल भी चेंज हो गया। सूत्र बताते है कि वर्ष 1995 मे जब यह कसया तहसील मे आये थे उस समय का लाइफ स्टाइल और आज के ठाठ-बाट मे मे जमीन आसमान का अंतर है। श्री त्रिपाठी वर्तमान समय मे नगर पालिका परिषद के वार्ड संख्या 13 श्रीराम जानकी नगर तो श्री सिंह, वार्ड संख्या - 15 वीर सावरकर नगर कसया मे हवेली बनवाकर यहा स्थाई निवास बन गये। सूत्रो की माने तो विगत ढाई दशको मे इन्होंने कुशीनगर सहित अन्य कई जगहो पर करोडो रुपये की लागत से जमीन खरीद रखा है। इसके अलाबा करोड रुपये के बेनामी संपत्ति के भी मालिक बताये जाते है ऐसा सूत्रो का दावा है। इस दावे मे कितनी सच्चाई है यह तो जांच के बाद ही साफ होगा लेकिन इस बात से भी इंकार नही किया जा सकता है कि धुआं वही उठती है जहां आग लगी होती है। 

🔴 जमीन अधिग्रहण मे दोनो की महत्वपूर्ण भूमिका

वैसे तो  लेखपाल काम जमीन से जुड़ा होता है. इसमें जमीन की नपाई, लेखा-जोखा, अतिक्रमण और अवैध कब्जे जैसे मामलों के बारे में पता करना और उसपर कार्रवाई करने जैसे कार्य मुख्य है। इसके अलावा जाति या निवास, आय प्रमाण पत्रो के साथ-साथ अन्य बहुत से कार्यो की जिम्मेदारी इनके कंधौ पर होती है। लेकिन ब्रजेश मणि व हरिशंकर सिंह मैत्रेय परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण, करार एक्ट 84 के तहत किसानों से भूमि लेने, मैत्रेय ट्रस्ट के लोगो से जनपद व मंडल के अधिकारियों के साथ मध्यस्थता कराना, हवाई पट्टी की जमीन अधिग्रहण आदि कराने मे इनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। सूत्र बताते है कि जमीन अधिग्रहण के दौरान काश्तकारो को मुआवजा दिलाने मे इन्हे लाभ मिलता है। इसमे कितनी सच्चाई है यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट होगा। 

🔴 सेलरी एकाउंट की हो जाए जांच

सूत्रो का दावा है कि यह दोनो लेखपाल अकूत व बेनामी संपत्ति के मालिक है इनके पास पास आय से अधिक संपत्ति होने का दावा भी इनके जमात के लोग ही कर रहे है। सूत्रो का यह भी कहना है कि इन दोनो लेखपालो का सिर्फ सेलरी एकाउंट की जांच कर ली जाए तो बहुत कुछ साफ हो जायेगा। अब देखना यह है कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ नकेल कसने वाली सूबे की योगी सरकार इनके खिलाफ क्या कार्रवाई करती है।

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🔴इस खबर के संबंध मे आरोपी लेखपालो से उनका पक्ष लेने का प्रयास किया गया किन्तु उनसे बात नही हो सकी है। अगर वह अपना पक्ष देते हैं तो उनका पक्ष भी प्रकाशित किया जायेगा।

🔴 इस खबर से जुडे आपके पास भी कोई जानकारी है तो आप हमे इस नम्बर 9919528245 वाट्सएप कर सकते है

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