🔴 संजय चाणक्य
कुशीनगर। भारतीय संविधान के अनुच्छेद - 14 मे जहां हर व्यक्ति कानून की नजर में एक बराबर है चाहे वह अमीर हो या गरीब, सरकारी अधिकारी हो या फिर गैर सरकारी व्यक्ति, सबको कानून का एक समान संरक्षण मिला है, कोई कानून से ऊपर नही है। ऐसे मे किसी अपराधी का सहयोग कर अपराध को बढ़ावा देने वाले पुलिसकर्मी पर कोई कार्रवाई न हो तो सवाल उठना लाजमी है। वह जिनके कन्धो पर कानून पालन कराने की जिम्मेदारी है वही जब कानून की धज्जियां उडा दे और जिम्मेदार सुरदास बनकर चुप्पी साध ले तो सवाल तो उठता ही है?
बात कर रहे है कुशीनगर जनपद के पटहेरवा थानाध्यक्ष अतुल्य पाण्डेय की। जिनके खिलाफ बीते रविवार को गोरखपुर एंटी करप्शन ने पशु तस्करों से साठगांठ, अमानत मे खयानत व आपराधिक षड्यंत्र रचने के मामले मे धारा 120 बी व 406 के तहत कसया थाने मे मुकदमा दर्ज कराया है। अपने तहरीर मे एंटी करप्शन के इंस्पेक्टर रामधारी मिश्रा द्वारा कहा गया है कि कुशीनगर विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी के शिकायत पर पुलिस महानिदेशक द्वारा विचारोपरांत प्रकरण की जांच भ्रष्टाचार निवारण संगठन से कराने का अनुमोदन प्रदान करते हुए आवश्यक कर्यावाही किये जाने की अपेक्षा की गयी थी। इसके उपरांत गोरखपुर इकाई द्वारा जांच संपादित की गयी। श्री मिश्र के तहरीर पर दर्ज मुकदमा मे यह कहा गया है कि जांच के मध्य उपलब्ध साक्ष्य मे पाया गया कि मुकदमा अपराध संख्या - 253/2019 धारा 3/5ए/8 गोवध अधिनियम व 11 पशु क्रूरता अधिनियम एंव मुकदमा अपराध संख्या - 321/2019 धारा 307, 3/5ए/8 पशु निवारण अधिनियम, 11 पशु क्रूरता अधिनियम कसया थाने से संबंधित सुपुर्दगारो गोवंश जिन्हे गोवंश सुपुर्द किये गये थे वह घर पर मौजूद नही है। 6 सुपुर्दगारो पर पहले से आपराधिक व गोवध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज पाया गया। एंटी करप्शन के इंस्पेक्टर के तहरीर पर कसया थाने मे दर्ज मुकदमा मे लिखा गया है कि शेष सुपुर्दगारो के संबंध मे एंटी करप्शन ने स्थानीय लोगो से सामुहिक व अलग अलग पूछताछ किया तो पाया गया कि सुपुर्दगारो ने तत्कालीन कसया थाना प्रभारी अतुल्य पाण्डेय के सहयोग से गोवंश की खरीद फरोख्त का कार्य किया है। यहा बताना जरूरी है कि एंटी करप्शन के इंस्पेक्टर के तहरीर पर पटहेरवा थानाध्यक्ष अतुल्य पाण्डेय के खिलाफ दर्ज मुकदमा मे स्पष्ट लिखा गया है कि एंटी करप्शन के गोरखपुर इकाई द्वारा मामले की जांच संपादित की गयी इसके उपरांत थानाध्यक्ष सहित कुल 27 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। अब सवाल यह उठता है कि थानाध्यक्ष अतुल्य पाण्डेय पर धारा 120बी व 406 के तहत मुकदमा दर्ज हुए एक सप्ताह से अधिक समय गुजर हो गया इसके बावजूद अब तक न तो उनकी गिरफ्तारी हुई और न ही निलंबन की कोई कार्रवाई की गयी ऐसा क्यो? क्या आम आदमी पर इन्ही धाराओं मे मुकदमा दर्ज हुआ होता तो पुलिस अब तक उनको गिरफ्तार नही की होती? ऐसे मे यह सवाल स्वभाविक है कि आजाद भारत मे पुलिस और आम जनता के लिए अलग अलग कानून क्यो है तो सवाल गलत क्या है? जबकि संविधान मे कानून से ऊपर कोई नही है सबके लिए बराबर का कानून बताया गया है। फिर थानाध्यक्ष श्री पाण्डेय के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई न होना संविधान का मखौल उड़ाना नही कहा जायेगा।
🔴 कहते है जानकार
विधि विशेषज्ञों की माने तो भारतीय संविधान मे कानून सबके लिए बराबर है कानून से ऊपर कोई नही है। उनका कहना है कि एसओ के खिलाफ जिन धाराओं मे मुकदमा दर्ज हुआ है उसमे सबसे पहले विभाग द्वारा एसओ को निलंबित कर आगे की कार्रवाई की जानी चाहिए। उच्च न्यायालय इलाहाबाद के वरिष्ठ अधिवक्ता मनमोहन सक्सेना का मानना है कि जब कानून का पालन कराने वाला ही कानून के खिलाफ किसी गतिविधि मे लिप्त पाये जाये तो उस पर कडी कार्रवाई का प्रावधान है इसके तहत निलंबन की कार्यवाही के साथ-साथ गिरफ्तारी भी होनी चाहिए। अगर ऐसा नही होता है तो इसका मतलब साफ है कि दोषी एसओ को बचाने मे कही न कही विभाग के उच्चधिकारियो की मौन सहमति है।
🔴 क्या है मामला
काबिलेगोर है कि वर्ष 2019 मे अतुल्य पाण्डेय जब कसया थाने के प्रभारी निरीक्षक थे। उस दौरान उन्होने दिन के उजाले मे तस्कर सहित पशुओ से भरा दो ट्रक पकडा था और उसी दिन रात के अन्धेरे मे थानाध्यक्ष अतुल्य पाण्डेय ने उन्हीं तस्करो के हाथो ट्रक समेत पशुओं को सुपुर्द कर दिया था। इस मामले को लेकर काफी हो-हल्ला भी मचा था लेकिन ऊपर से नीचे तक मैनेज के खेल मे मामला दब कर रह गया। पकड़े गये तस्करों के हवाले पशुओं को सुपुर्द किये जाने के मामले मे जब जिले के एसपी द्वारा कोई कार्रवाई नही किया गया तो कसया विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी ने जनहित मे इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री व प्रमुख सचिव गृह से कई थी। मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री ने तत्काल पूरे प्रकरण की जांच एंटी करप्शन को सौपा दिया। परिणाम स्वरूप लंबे समय तक एंटी करप्शन की चली जांच मे कसया थाने पर तैनात रहे थानाध्यक्ष अतुल पाण्डेय जो वर्तमान समय मे पटहेरवा के प्रभारी निरीक्षक है सहित कुल 27 लोग दोषी पाये गये। नतीजतन पशु तस्करों से साठगांठ के आरोप सिद्ध होने पर एंटी करप्शन ने बीते रविवार को पटहेरवा एसओ अतुल्य पाण्डेय व 26 अन्य के खिलाफ 120बी व 406 के तहत मुकदमा पंजीकृत कराया है।
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