लव जिहाद कानून बनने से पहले हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला - Yugandhar Times

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Wednesday, November 25, 2020

लव जिहाद कानून बनने से पहले हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

🔴 युगान्धर टाइम्स न्यूज व्यूरो 

कुशीनगर/ इलाहाबाद । सूबे मे लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश पारित होने के कुछ घंटे पूर्व उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने जनपद से जुडे एक लव जिहाद के मामले में अहम फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपनी पसंद का जीवन साथी चुनने का मौलिक अधिकार है। महज अलग-अलग मजहब और जाति के होने की वजह से किसी को एक साथ रहने या शादी करने से रोका नही जा सकता है। अपनी पसंद के जीवन साथी के साथ शादी करने वालों के रिश्ते पर एतराज जताने और विरोध करने का हक न तो उनके परिवार को है और न ही किसी व्यक्ति या सरकार को। अगर राज्य या परिवार उन्हें शांतिपूर्वक जीवन जीने में खलल पैदा कर रहा है तो वो उनकी निजता के अधिकार का अतिक्रमण है। 

काबिलेगोर है कि कुशीनगर जनपद के विशुनपुरा थाना क्षेत्र के निवासी सलामत अंसारी और प्रियंका खरवार ने परिवार के विरोध के बावजूद 19 अगस्त -2019 को मुस्लिम रीति-रिवाजों से निकाह कर ली थी। शादी के बाद प्रियंका खरवार धर्म परिवर्तन कर आलिया बन गयी और सलामत के साथ पति-पत्नी की तरह रहने लगे। इधर इस मामले मे प्रियंका के पिता ने बेटी को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने और जबरिया शादी करने का आरोप लगाते हुए सलामत अंसारी के खिलाफ विशुनपुरा थाने मे मुकदमा दर्ज कराया। इस दौरान आरोपी पर पाँक्सो एक्ट भी लगाया गया। इस मामले मे हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने भी महज शादी के लिए धर्म परिवर्तन करने को अवैध करार दिया।

🔴 एफआईआर को रद किया

जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने इसी आधार पर कुशीनगर में प्रेम विवाह करने वाले युवक के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद कर दिया है. दरअसल, कुशीनगर के विष्णुपुरा थाने की रहने वाली प्रियंका खरवार ने अपनी पसंद के सलामत अंसारी के साथ प्रेम विवाह किया था. प्रियंका ने शादी से पहले अपना धर्म छोड़कर इस्लाम धर्म अपना लिया था और वो प्रियंका से आलिया हो गई थी. इसके बाद प्रियंका के पिता ने सलामत अंसारी के खिलाफ अपहरण और पाक्सो समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करा दिया था.

🔴 सिंगर बेंच के फैसले पर हाईकोर्ट ने जताई असहमति

उच्च न्यायालय इलाहाबाद की डिवीजन बेंच ने सलामत-प्रियंका से जुडे लव जिहाद के मामले मे सूबे सरकार की उस दलील को भी खारिज कर दिया है जिसमे हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के फैसले के आधार पर धर्म परिवर्तन को अवैध बताया गया था। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच से आए फैसले पर असहमति जताई और कहा कि उन फैसलो मे निजता और स्वतंत्रता के अधिकारों की अनदेखी की गई थी। 

🔴 प्रियंका की मर्जी है कि वह किससे मिलना चाहेगी

 हाईकोर्ट ने पिता के बेटी से मिलने के अधिकार पर कहा कि बेटी प्रियंका खरवार की मर्जी है कि वह किससे मिलना चाहेगी। हालांकि साथ ही हाईकोर्ट ने ये भी उम्मीद जताई कि बेटी परिवार के लिए सभी उचित शिष्टाचार और सम्मान का व्यवहार करेगी प्रियंका खरवार उर्फ आलिया के पिता ने कहा कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन प्रतिबंधित है। ऐसी शादी कानून की नजर में वैध नहीं है।इस पर कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति की पसंद का तिरस्कार, पसंद की स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है।कोर्ट ने कहा प्रियंका खरवार और सलामत को अदालत हिंदू और मुस्लिम के रूप में नहीं देखती है। कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-21 ने अपनी पसंद व इच्छा से किसी व्यक्ति के साथ शांति से रहने की आजादी देता है। इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। 

🔴 निजी और शांतिपूर्ण जीवन में खलल

सलामत और प्रियंका ने इसी एफआईआर को रद कराने के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. अर्जी में कहा गया था कि दोनों ने पिछले साल 19 अक्टूबर को अपनी मर्जी से अपनी पसंद के जीवन साथी के साथ निकाह कर लिया. दोनों पिछले एक साल से खुश रहते हुए अपना जीवन बिता रहे हैं. ऐसे में परिवार और पुलिस के लोग उन्हें परेशान कर रहे हैं और उनके निजी और शांतिपूर्ण जीवन में खलल डाल रहे हैं.

🔴 कानून की नजर में सिर्फ बालिग जोड़े हैं

अदालत ने साफ तौर पर कहा कि एतराज और विरोध करने वालों की नजर में कोई हिन्दू या मुसलमान हो सकता है, लेकिन कानून की नजर में अर्जी दाखिल करने वाले प्रेमी युगल सिर्फ बालिग जोड़े हैं और शादी के पवित्र बंधन में बंधने के बाद पति-पत्नी के तौर पर साथ रह रहे हैं. कोर्ट ने धर्म बदलने वाली प्रियंका उर्फ आलिया के पिता की तरफ से पति सलामत अंसारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद कर दिया है।



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